CSR सीएसआर पर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर -FAQs Answers on CSR
CSR – Corporate Social Responsibility
(नैगमिक सामाजिक उत्तरदायित्व)
सीएसआर कानून में जनता के कल्याण की भावना निहित है। सीएसआर कानून के अंतर्गत समाज के समजोर वर्ग के लोगों को लाभ पहुँचाने तथा उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए परियोजनाएँ चलाना होता है।
इस लेख के माध्यम से इंडिया सीएसआर की हिंदी समाचार सेवा के अंतर्गत कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी अर्थात् सीएसआर (CSR) की गहन जानकारियों को सहज भाषा के रोचक बनाकर आप तक पहुंचाया जा रहा है।
भारत में सीएसआर क्यों आवश्यक है
हमारा देश में सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्र में कई तरह की चुनौतियाँ हैं। हमें इन समस्याओं के समाधान करने के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है। चाहे आम जनता हो, सरकार हो, सामाजिक संगठन और औद्योगिक संगठन, सबको मिलकर प्रयास करने होंगे। इसी भावना से प्रेरित होकर भारत में सीएसआर कानून लाया गया है। इस कानून में कंपनियों को अपने लाभ का एक सुनिश्चित समाज में सेवा और कल्याणकारी कार्यों पर धन राशि खर्च करने होते हैं। सीएसआर कानून केवल भारत के नागरिकों के कल्याण के लिए है।
सीएसआर कानून के पहले भी क्या सीएसआर पर खर्च होता था
1 अप्रैल 2014 को कंपनी अधिनियम में सीएसआर कानून को लागू किया गया, उनके बाद से भारत में सीएसआर अनिवार्य हो गया लेकिन सीएसआर कानून के पहले भी कंपनियां सामाजिक काम किया करती थी। ये सामाजिक काम कंपनियों की स्वैच्छिक थी लेकिन कानून आने के बाद ये बाध्य है।
कंपनी अधिनियम की धारा 135 के अनसुार, कंपनी अपने आसपास के स्थानीय क्षेत्र को वरीयता देती है जहां वह सीएसआर गतिविधियों के लिए निर्धारित राशि खर्च करने के लिए कार्य करती है।
सीएसआर किसके अधीन आता है
हमारे देश में कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व केंद्र सरकार के अधीन आता है। सीएसआर के मामलों की निगरानी भारत सरकार के कंपनी मामलों के मंत्रालय करता है। अतः इस सीएसआर कानून को लागू करवाने, प्रभावी बनाने तथा उसमें सुधार, संशोधन आदि करने के उत्तरदायित्व और कार्य इसी मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
सीएसआर में केवल कंपनियों को क्यों रखा गया है
सीएसआर कानून का संबंध कंपनियों के साथ है। सभी कंपनियाँ समाज से कुछ न कुछ लाभ हासिल करती हैं। आर्थिक लाभ को बांटने के लिए कानूनी रूप से कंपनियों को बाध्य करने के लिए ऐसा प्रावधान लागू किया गया है। इस कानून को भारतीय संसद का सामर्थन प्राप्त है और संसद यह कानून पारित किया गया है।
क्या है सीएसआर, सीएसआर कौन करता है और किन नियमों के तहत सीएसआर किया जाता है आदि प्रश्नों के जवाब यहाँ दिए जा रहे हैंः
क्या होता है सीएसआर (CSR)?
सीएसआर (CSR) कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (Corporate Social Responsibility) का संक्षिप्त शब्द है। भारत में सीएसआर एक कानून है। सीएसआर अपने में कई अर्थों को समेटे हुए है। इस कानून के तहत देश में कॉर्पोरेट्स औद्योगिक संगठनों को सामाजिक काम करने के लिए बाध्य किया गया है। सामाजिक काम यानी समाज के उत्थान में जो आवश्यक हो जैसे समाज के जरूरतमंद लाभ पहुँचाना हो या कमजोर वर्ग के लोगों को आगे बढ़ाना हो, या आपदा-विपदा आदि के समय लोगों को आवश्यक सेवा पहुँचाना हो, जैसे कार्य सीएसआर पर किए जाते हैं।
कौन सी कंपनियाँ सीएसआर के दायरे में आती है?
भारत में किसी भी कंपनी को अपना व्यापार करने के लिए अपने आप को रजिस्टर्ड यानी पंजीकृत करवाना पड़ता है। हर छोटी-बड़ी कंपनी को कंपनीज एक्ट 2013 के प्रावधानों और प्रक्रियाओं के अंतर्गत में रजिस्टर्ड करवाना होता है। भारत में हर कंपनी सीएसआर के दायरे में नहीं आती। छोटी कंपनिया जिनकी कमाई बहुत सीमित है या काम है उनको सीएसआर खर्च करने के लिए बाध्य नहीं किया गया है। कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के तहत प्रावधानों के माध्यम से अनिवार्य कर दिया गया है।
इसका आशय यह है कि हर कंपनी जो प्राइवेट लिमिटेड या पब्लिक लिमिटेड है जिन्होंने 500 करोड़ रुपये का शुद्ध मूल्य या 1,000 करोड़ रुपये का टर्न ओवर या 5 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ का कारोबार किया है, उन्हें तीन वित्तीय वर्षों के लिए, तुरंत अपने औसत शुद्ध लाभ का कम से कम 2% (दो प्रतिशत) सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना आवश्यक रहता है।
सीएसआर के लाभार्थी कौन हो सकते हैं?
सीएसआर के अतर्गत हमारे देश के औद्योगिक घराने और कॉर्पोरेट संगठन करोड़ों रुपये खर्च करती हैं। इस धनराशि का सीधा लाभ समाज तथा स्थानीय समुदाय को होता है। सीएसआर का लाभार्थी आम जन मानस और जरूरतमंद दोनों ही हो सकते हैं। नैतिक रूप से सीएसआर के तहत कंपनीज किसी अकेले व्यक्ति को सीधे तौर पर सीएसआर फंड का फायदा नहीं पहुंचा सकती। सीएसआर की अवधारणा समुदायिक उत्थान के लिए विकसित की गई है।
क्या अकेले इंसान पर कंपनियां अपने सीएसआर (CSR) फंड को खर्च कर सकती है
नैतिक रूप से किसी अकेले इंसान पर कंपनीज सीएसआर फंड को खर्च नहीं करना चाहिए लेकिन कंपनी चाहे तो विशेष प्रावधान के अंतर्गत सीएसआर फंड को किसी विशेष जरूरत मंद व्यक्ति के कल्याण और उत्थान के लिए खर्च सक सकती हैं। यह भी सर्वमान्य तथ्य है कि हर कोई व्यक्ति किसी समुदाय का हिस्सा है इसलिए अकेला व्यक्ति सीएसआर गतिविधियों का बिनिफिशरी यानी लाभार्थी अवश्य हो सकता है। इसे एक उदाहरण से समझिए – आप पानी की कमी से जूझ रहें है तो पीने के पानी के लिए सीएसआर के तहत कंपनी उपाय योजना कर सकती है वो भी पूरे गांव के लिए। अगर सीएसआर पहल से गांव की पेयजल की समस्या खत्म हो जाएगी तो जाहिर है आप भी गांव के निवासी है और पेयजल के लाभार्थी भी।
प्राइवेट कंपनी के जैसे क्या सरकारी कंपनी भी सीएसआर करती है
कंपनी कोई भी हो, प्राइवेट हो या फिर सरकारी, कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के तहत प्रावधानों के माध्यम से अनिवार्य कर दिया गया है। और जो कंपनी इस नियम के दायरे में आती है उसे सीएसआर खर्च करना ही है, चाहे वह प्राइवेट हो या सरकारी। प्राइवेट कंपनीज में इनफ़ोसिस हो या विप्रो या रिलायंस हो हर कोई सीएसआर करता है वहीं सरकारी कंपनियों में PSU यानी पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग भारत पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल, एनटीपीसी जैसी सरकारी कंपनियां बड़े पैमाने पर सीएसआर करती हैं।
सरकारी योजनाओं में सीएसआर फंड का उपयोग किया जा सकता है
ऐसा किया जा सकता है। भारत सरकार पूरे देश में कई सरकारी योजनाओं को चलाती है, इन योजनाओं को क्रियांवित करने के लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है, फंड की कमी अवश्य होती है लेकिन बड़े पैमाने पर कॉर्पोरेट इन योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर काम करती है। स्वच्छ भारत मिशन हो या फिर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ इन प्रोग्राम को सीएसआर का बल मिला है इसलिए यह बहुत सफल साबित हो रही हैं।
सीएसआर (CSR) परियोजनाएँ कहां करनी है
कंपनियों के लिए सीएसआर के मानक तय होते हैं। कंपनीज को अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी संबंधी गतिविधियों का संचालन स्पष्ट दिशा निर्देशों के अनुकूल करना होता है। नियम के मुताबिक हर कंपनी में सीएसआर कमिटी होती है। इस कमिटी और कंपनी के बोर्ड में यह तय होता है कि कंपनी को कौन-सी गतिविधि, कब और कहाँ चलानी है। ज्यादातर कंपनियों की सीएसआर एक्टिविटीज वहीं की जाती है जहां वो संचालित है। इस तरह तय गतिविधि ही सीएसआर की परिधि में आती है।
क्या कंपनी कोई भी काम सीएसआर के तहत करवा सकती है?
नहीं, कंपनी कोई भी काम सीएसआर के तहत नहीं करवा सकती है, इसके लिए कुछ नियम होते हैं। सीएसआर कानून में कंपनी को कौन सा सामाजिक काम करवाना है वो भी निर्धारित किये गए है। इन सीएसआर गतिविधियों के आलावा दूसरे सीएसआर एक्टिविटीज को नहीं करवाया जा सकता है। कानून में सीएसआर गतिविधियों की सूची दी गई है, जो सीएसआर के दायरे में आती हैं। यह सूची नियम की 7वीं अनुसूची में शामिल हैं। कंपनियों को इन्हीं में से अपने सीएसआर के लिए गतिविधियों का चयन करना है।
- राष्ट्रीय धरोहर, कला और संस्कृति की सुरक्षा, जिसमें ऐतिहासिक महत्व वाली इमारतें और स्थल एवं कला शामिल हैं।
- पारंपरिक कला एवं हस्तशिल्प को बढ़ावा देना और उनका विकास।
- सार्वजनिक पुस्तकालयों की स्थापना।
- अनाथालय और छात्रावास की स्थापना, उनके लिए भवन का निर्माण, उनका रख रखाव व संचालन।
- वृद्धाश्रम की स्थापना, उनके लिए भवन का निर्माण, उनका रख -रखाव व संचालन।
- डे केयर केंद्रों की स्थापना, उनके लिए भवन का निर्माण, उनका रख-रखाव व संचालन।
- महिलाओं के लिए घर और छात्रावासों की स्थापना।
- ग्रामीण खेलों, राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त खेलों, ओलंपिक खेलों और पैरालंपिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण मुहैया कराना।
- केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त शैक्षणकि संस्थानों में स्थित प्रौद्योगिकी इनक्यूबेटरों के लिए फंड मुहैया कराना।
- शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए काम करना।
- मिट्टी, हवा और जल की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए काम करना।
- प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण।
- पारिस्थितिक संतुलन को सुनिश्चित करना।
- वनस्पतियों, जीव संरक्षण, पशु कल्याण, कृषि वानिकी का संरक्षण।
- ग्रामीण विकास परियोजनाएं।
- जीविका वृद्धि संबंधी परियोजनाएं।
- स्वास्थ्य एवं स्वच्छता को बढ़ावा देना।
- असामानता का दंश झेल रहे सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समूहों के लिए काम करना।
- युद्ध में मारे गए शहीदों की विधवाओं, सशस्त्र बलों के वीरों और उनके आश्रितों के लाभ से जुड़े काम।
कौन से कार्य सीएसआर (CSR) नहीं है
कंपनी अधिनियम की धारा 135 के अनुसार वो सीएसआर गतिविधियां जो केवल कंपनी के कर्मचारियों और उनके परिवारों को लाभान्वित करती हैं, उन्हें सीएसआर गतिविधियों के रूप में नहीं माना जाएगा। मैराथन / पुरस्कार / धर्मार्थ योगदान / विज्ञापन / टीवी कार्यक्रमों के प्रायोजन जैसे कार्यक्रम सीएसआर ख़र्च में मान्य नहीं होंगे।
क्या राजनितिक पार्टियों को सीएसआर दान दिया जा सकता है
नहीं। ऐसा करना निषेध किया गया है। सीएसआर फंड समाज की भलाई के लिए होता है ना कि किसी राजनितिक दल की भलाई के लिए। किसी भी राजनीतिक दल को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी राशि का योगदान सीएसआर गतिविधि के रूप में नहीं माना जाता है।
आपदा राहत पर खर्च सीएसआर के लिए योग्य है या नहीं
सीएसआर नियमों में भारत सरकार समय समय पर कानून और नियमों में बदलाव करती रहती है, कोरोना जैसे महामारी के दौरान भारत सरकार ने नियमों में बदलाव कर कॉर्पोरेट्स के साथ साथ आम जनता की भी बहुत मदद की। कंपनीज अब सीधे तौर पर अपने सीएसआरफंड को पीएम केयर्स फंड में दान कर सकतें हैं। केंद्र सरकार ने स्पष्ट कहा है कि राज्य सरकार को दिया गया फंड सीएसआर के दायरे में नहीं आएगा।
कोरोना-19 राहत अभियान में क्या सीएसआर मान्य है
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने सामान्य परिपत्र संख्या 10/2020 दिनांकित की 23 मार्च, 2020 में ये स्पष्ट किया है कि COVID-19 संबंधित गतिविधियों के लिए खर्च करना सीएसआर के दायरे में मान्य होगा। इतना ही नहीं, यह भी स्पष्ट किया कि COVID-19 के रोकथाम में स्वास्थ्य देखभाल के खर्च को भी सीएसआर माना जायेगा।
(स्रोत – इंडिया सीएसआर हिंदी समाचार सेवा)