कौन थे देश के पहले IAS, जानें पहले सिविल सर्विसेज परीक्षा को किस नाम से जाना जाता था?

कौन थे देश के पहले IAS, जानें पहले सिविल सर्विसेज परीक्षा को किस नाम से जाना जाता था? History of UPSC civil services Exam

History of UPSC civil services Exam

संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विसेज परीक्षा का इतिहास बहुत ही रोचक है। पहले यह परीक्षा अंग्रेजों की तरफ से आयोजित की जाती थी। वहीं, परीक्षा भारत में होती भी नहीं थी।

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सर्विसेज परीक्षा (CSE) को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में एक माना जाता है। इस परीक्षा में हर वर्ष लाखों की संख्या में अभ्यर्थी शामिल होते हैं। जो अभ्यर्थी इस परीक्षा में सफल होते हैं, वे अन्य के लिए मिशाल बन जाते हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश के पहले IAS कौन थे? और पहली बार सिविल सर्विसेज परीक्षा देश में कब आयोजित की गई थी?

1922 में पहली बार आयोजित हुई थी परीक्षा

देश में सिविल सर्विसेज परीक्षा पहली बार 1922 में आयोजित की गई थी। हालांकि, तब इस परीक्षा को इंडियन इंपेरियल सर्विसेज के नाम से जाना था। लेकिन इसके कुछ वर्षों बाद इसका नाम बदल कर सिविल सर्विसेज एग्जाम कर दिया गया। तब से यह इसी नाम से जाना जाता है।

सत्येंद्र नाथ टैगोर थे पहले IAS

भारत के पहले आईएएस सत्येंद्र नाथ टैगोर थे। वह मूल रूप से पश्चिम बंगाल के कोलकाता के रहने वाले थे। उन्होंने अपनी पढ़ाई प्रेसिडेंसी कॉलेज से की थी। हालांकि, भारत में सिविल सेवा परीक्षा की शुरुआत अंग्रेजों ने 1855 में ही कर दी थी। लेकिन उस वक्त तक इस परीक्षा में अंग्रेजों का ज्यादा चयन होता था।

1922 तक लंदन में आयोजित होती थी सिविल सर्विसेज परीक्षा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1922 तक सिविल सेवा परीक्षा सिर्फ लंदन में आयोजित थी। यही वजह है कि लंदन जाकर एग्जाम देना आम भारतीयों के बस की बात नहीं थी। हालांकि, इसके बावजूद भी बड़ी संख्या में भारतीय लंदन जाकर यह परीक्षा देते थे।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भी पास की थी परीक्षा

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भी यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा को पास किया था। हालांकि, उन्होंने इसमें सेवा देने से इनकार कर दिया था। क्योंकि तब देश आजाद नहीं हुआ था। जिसके चलते अंग्रेज भारतीयों के खिलाफ मनमाने काम कराते थे। यही वजह थी कि सुभाष चंद्र बोस ने सेवा देने से मना कर दिया था।

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