1 मई अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस (1st May, International Labor Day)
किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में मज़दूरों, कामगारों और मेहनतकशों की अहम भूमिका होती है। उन की बड़ी संख्या इस की कामयाबी के लिए हाथों, अक्ल-इल्म और तनदेही के साथ जुटी होती है। किसी भी उद्योग में कामयाबी के लिए मालिक, सरमाया, कामगार और सरकार अहम धड़े होते हैं। कामगारों के बिना कोई भी औद्योगिक ढांचा खड़ा नहीं रह सकता।
बाबा साहब डॉ० अंबेडकर जी ने श्रम मंत्री रहने के दौरान मजदूरों के काम के 12 घंटे को घटाकर 8 घंटे किया, व महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश, मजदूरों के लिए महंगाई भत्ता, मजदूरों के सशक्तिकरण में बाबा साहेब का अहम योगदान है।
इसी दिन (1 मई) को महाराष्ट्र में महाराष्ट्र दिवस मनाते है। महाराष्ट्र के सभी ज़िलों में मज़दूर दिवस मनाया जाता है। यहाँ जितने भी व्यापारी , कारीगर होते है वे सभी छुट्टी रखते है।
एक मई को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस (International labour day) मनाया जाता है। इसको कामगार दिवस, श्रम दिवस या श्रमिक दिवस (labour) के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि कई देशों में इसको अलग-अलग दिन मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को श्रमिकों (Labours) और उनकी समस्याओं के प्रति जागरूक करना है।
अमेरिका से हुई थी शुरुआत
मजदूर दिवस मनाने के पीछे की वजह अमेरिका में 1 मई 1886 से शुरू हुआ विरोध-प्रदर्शन है। जानकारी के मुताबिक, वहां की कंपनियों में काम करने वाले वकर्स ने काम के घंटे आठ करने की लंबी मांग के बाद काम बंद कर दिया था। हड़ताल शुरू हुए चार दिन भी पूरे नहीं हुए थे, कि तभी अमेरिका के शिकागो की हे-मार्केट में एक धमाका हुआ।
इसके बाद 4 मई को धमाके के जवाब में पुलिस ने प्रदर्शनकारी मजदूरों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। इसमें कई मजदूरों की जान चली गई थी। यह दहशत और गुस्से का माहौल देश भर में फैल गया। आखिर में प्रशासन को झुकना पड़ा और श्रमिकों की मांगों को स्वीकृति दे दी थी। हालांकि, अमेरिका में राष्ट्रीय मजदूर दिवस सितंबर महीने के पहले सोमवार को मनाया जाता है।