चांद पर ऑक्सीजन, सल्फर, मैग्नीशियम जैसे पदार्थ होने के प्रमाण मिले, हाइड्रोजन की खोज जारी
भारत के चंद्रयान-3 के हाथों बड़ी सफलता हाथ लगी है। इसरो ने बताया कि रोवर पर लगे लेजर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) उपकरण ने स्पष्ट रूप से दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रमा की सतह में सल्फर (S) की उपस्थिति की पुष्टि की है। इसके अलावा चांद पर एल्युमिनियम (Al) कैल्शियम (Ca), आयरन (Fe), क्रोमियम (Cr), टाइटेनियम, (Ti), मैंगनीज (Mn), सिलिकॉन (Si) और ऑक्सीजन (O) की उपस्थिति का भी पता चला है, जैसा कि हमने पहले से उम्मीद किया था। लेकिन अभी चांद पर हाइड्रोजन (H) की तलाश जारी है।
इसरो ने जारी किया अपडेट
इसरो ने ट्वीट किया, “रोवर पर लगा लेजर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) उपकरण पहली बार इन-सीटू माप के माध्यम से, दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्र सतह में सल्फर (एस) की उपस्थिति की स्पष्ट रूप से पुष्टि करता है। जैसा कि अपेक्षित था, Al, Ca, Fe, Cr, Ti, Mn, Si और O का भी पता चला है। हाइड्रोजन (एच) की खोज जारी है। बता दें कि, एलआईबीएस उपकरण को इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम्स (एलईओएस) को इसरो ने बेंगलुरु की प्रयोगशाला में विकसित किया है।”
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 29, 2023
In-situ scientific experiments continue …..
Laser-Induced Breakdown Spectroscope (LIBS) instrument onboard the Rover unambiguously confirms the presence of Sulphur (S) in the lunar surface near the south pole, through first-ever in-situ measurements.… pic.twitter.com/vDQmByWcSL
चंद्रमा पर क्या-क्या हैं मौजूद?
इसरो के मुताबिक, चंद्र की सतह पर
एल्युमीनियम (Al),
सल्फर (S),
कैल्शियम (Ca),
आयरन (Fe),
क्रोमियम (Cr) और
टाइटेनियम (Ti) मौजूद हैं।
इसके अलावा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर
मैंगनीज (Mn),
सिलिकॉन (Si) और
ऑक्सीजन (O) की उपस्थिति का पता चला है।
साथ ही हाइड्रोजन मौजूदगी के बारे में जांच जारी है।
भारत ने रचा इतिहास
14 जुलाई को चंद्रयान-3 को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, शार से एलवीएम-3 से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। जिसके बाद चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग किया। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है। साथ ही, भारत चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव की सतह पर यान को लैंड करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। अभी तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर किसी भी देश ने अपने मून मिशन को अंजाम नहीं दिया है। लेकिन भारत ऐसा करने में सफल रहा है।