आषाढ़ पूर्णिमा (आषाढ़ी /गुरु पूर्णिमा) की बहुत-बहुत शुभकामनायें

आषाढ़ पूर्णिमा (आषाढ़ी /गुरु पूर्णिमा) की बहुत-बहुत शुभकामनायें आषाढ़ पूर्णिमा (आषाढ़ी /गुरु पूर्णिमा) धर्म चक्र प्रवर्तन दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनायें Ashadh Purnima (Ashadhi / Guru Purnima) Best wishes on Dharma Chakra Pravartan Day

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आषाढ़ पूर्णिमा (आषाढ़ी /गुरु पूर्णिमा)
धर्म चक्र प्रवर्तन दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनायें

Ashadh Purnima (Ashadhi / Guru Purnima)
Best wishes on Dharma Chakra Pravartan Day


☸ आषाढी पूर्णिमा : धम्मचक्कप्पवत्तन दिवसो ☸
बौद्धों का दूसरा सबसे बड़ा महापर्व

भिक्खुओं का वर्षावास आरम्भ

धम्मचक्कप्पवत्तन दिवस बौद्धों का दूसरा सबसे बड़ा पर्व है | सभी धम्म बंधुओं को सूचित किया जाता है कि इस साल धम्मचक्कप्पवत्तन दिवस समारोह 21 जुलाई 2024 को आयोजित किए जाएंगे जिसमें आप सभी बढ़चढ़ कर हिस्सा लें | समारोह में उपस्थित होकर अपने को गौरवान्वित महसूस करें |

★ आषाढ़ पूर्णिमा का बुद्ध धम्म में महत्व ★

(1) धर्म चक्र प्रवर्तन दिवस

👍 बुद्धत्व प्राप्ति के बाद विश्वगुरु तथागत बुद्ध इसी दिन पंचवर्गीय परिव्राजकों को इसिपत्तन – मृगदाय (सारनाथ) में प्रथम देशना (प्रथम उपदेश) दिये थे | इस घटना को विश्व इतिहास में “धम्मचक्कप्पवत्तन” के नाम से जाना जाता है |

(2) राजमाता महामाया का सपना

👍 शाक्य राजकुमार सिद्धार्थ गोतम की माता महामाया ने सपना देखा | सिद्धार्थ गोतम जो पूरे विश्व में तथागत बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए |

(3) महाभिनिष्क्रमण अर्थात गृहत्याग

👍 इसी दिन राजकुमार सिद्धार्थ गोतम ने दुनिया के दुखों को देखकर, उसके निवारण का मार्ग खोजने के लिए 29 वर्ष की अवस्था में गृह त्याग किया था | इस घटना को “महाभिनिष्क्रमण” कहा जाता है |

(4) भिक्खुओं का वर्षावास आरम्भ

👍 इसी पूर्णिमा से बुद्ध भिक्खु तीन महीने तक किसी एक ही विहार में रहने का संकल्प करते हैं अर्थात भिक्खुओं का वर्षावास आरम्भ होता है |

(5) प्रथम बुद्ध धम्म संगीति आरम्भ

👍 इसी पावन पूर्णिमा के दिन 483 ईसा पूर्व में 500 अरहत भिक्खुओं की “प्रथम बुद्ध धम्म संगीति” राजगृह में आरम्भ हुई | जिसके अध्यक्ष महाथेर महाकस्सप थे और नेतृत्वकर्ता बुद्धिस्ट शासक अजातशत्रु थे. इसी धम्म संगीति में तिपिटक (त्रिपिटक) के दो भाग सुत्तपिटक और विनयपिटक का संकलन किया गया था |

आषाणी पूर्णिमा के पावन अवसर पर बुद्ध उपासक/ उपासिकाओं द्वारा महा उपोसथ व्रत रखा जाता है | प्रत्येक पूर्णिमा को बुद्ध उपासक /उपासिकाओं को अच्छे वस्त्र पहनकर अपने परिवार के सभी लोगों के साथ अपने नजदीक के चैत्यों, बुद्ध विहारों, स्तूपों पर धम्म वन्दना के लिए जाना चाहिए | जिससे कि पूर्वजों के प्राचीनकाल के कल्चर की शुरुआत दुबारा से हो सके | जिनके घर के नजदीक कोई चैत्य, बुद्ध विहार, स्तूप मौजूद नहीं है, वो अपने घर को ही बुद्धमय बनाकर सपरिवार धम्म वन्दना करें | सभी लोग अपने घर पर “पकवान” बनवाना न भूलें. क्योंकि किसी भी पर्व को सेलिब्रेट करने के लिए ये बहुत ही जरूरी है |

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