राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2024

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2024 National Space Day 2024

National Space Day 2024

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2024

हाल ही में भारत ने 23 अगस्त 2024 को अपना पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाया। यह 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर की चंद्र सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग को चिह्नित करने हेतु  मनाया गया। 

  • इसके अतिरिक्त चंद्रयान-3 पर आधारित वर्तमान निष्कर्ष चंद्रमा की दक्षिणी ऊपरी मृदा की संरचना का पहला विश्लेषण प्रस्तुत करते हैं और चंद्र सतह पर पर पिघले हुए पदार्थ के समुद्र की परिकल्पना का समर्थन करते हैं।

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस क्यों मनाया जाता है?

  • परिचय:
    • 23 अगस्त को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों, विशेष रूप से चंद्रयान-3 की सफलता का स्मरण कराता है।
    • वर्ष 2023 में चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के साथ भारत चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने वाला चौथा देश बन गया और इसके दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र तक पहुँचने वाला पहला देश बन गया। 
    • यह भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण क्षमताओं पर प्रकाश डालता है और इसका उद्देश्य भविष्य की पीढ़ियों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) में कॅरियर बनाने के लिये प्रेरित करना है, जो भारत के चल रहे अंतरिक्ष प्रयासों में योगदान देगा।
  • राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2024 का विषय:
    • राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2024 का विषय है ‘चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना: भारत की अंतरिक्ष गाथा’

चंद्रयान-3 की वर्तमान खोज क्या हैं?

  • मुख्य निष्कर्ष: 
    • चंद्रयान 3 के लैंडिंग स्थल के आस-पास का क्षेत्र काफी हद तक एक समान है। 
    • चंद्र सतह के नीचे कभी गर्म, पिघली हुई चट्टान या मैग्मा का एक समुद्र मौजूद था। 
    • चंद्रमा की भूपर्पटी परतों से बनी है, जो चंद्र मैग्मा महासागर (LMO) परिकल्पना का समर्थन करती है। 
    • चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के आस-पास की ऊपरी मृदा में अपेक्षा से कहीं ज़्यादा खनिज मौजूद हैं, जो चंद्र भूपर्पटी की निचली परतों का निर्माण करते हैं।
  • LMO परिकल्पना और चंद्र क्रस्ट का गठन: 
    • माना जाता है कि चंद्रमा लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले पृथ्वी के साथ एक विशाल क्षुद्रग्रह के टकराव से बना था, जिससे एक पिघली हुई सतह बनी जो अंततः ठंडी हो गई। 
    • इस प्रक्रिया में ओलिवाइन और पाइरोक्सिन जैसे भारी खनिज निचली परत एवं ऊपरी मेंटल में डूब गए, जबकि कैल्शियम और सोडियम-आधारित यौगिकों जैसे हल्के खनिज ऊपरी परत बनाने के लिये तैरते रहे।

वर्ष 2003-24 में भारतीय अंतरिक्ष मिशनों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • आदित्य-L1 मिशन:
    • आदित्य-L1 मिशन 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी से सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन है। पृथ्वी-सूर्य लैग्रेंज बिंदु, L1 से सूर्य का अध्ययन करता है। 
  • गगनयान  TV-D1 परीक्षण:
    • ISRO ने गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिये संशोधित L- 40 विकास इंजन का प्रयोग कर अपने फ्लाइट टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (TV-D1) का संचालन किया।
    • इस परीक्षण ने क्रू एस्केप सिस्टम (CES) क्षमताओं का प्रदर्शन किया, जिसमें परीक्षण वाहन से पृथक् होना, क्रू मॉड्यूल सुरक्षा और बंगाल की खाड़ी में स्पलैशडाउन से पूर्व मंदन शामिल है। मॉड्यूल को भारतीय नौसेना के पोत INS शक्ति द्वारा रिकवर किया गया था।
  • XPoSat लॉन्च:
    • 1 जनवरी 2024 को ISRO ने अंतरिक्ष में विकिरण ध्रुवीकरण का अध्ययन करने के उद्देश्य से X-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) लॉन्च किया।
    • यह NASA द्वारा वर्ष 2021 में प्रक्षेपित इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर (IPEX) के बाद इसी तरह का दूसरा अंतरिक्ष-आधारित उपग्रह है। 
  • RLV-TD प्रयोग:
    • ISRO ने मार्च और जून 2024 में कर्नाटक के अपने एयरोनॉटिकल टेस्टिंग रेंज चल्लकेरे में पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान पुष्पक के डाउनस्केल्ड संस्करण का उपयोग करके दो लैंडिंग प्रयोग किये। 
    • इन परीक्षणों में अंतरिक्ष लैंडिंग स्थितियों का अनुकरण किया गया, जिसमें लैंडिंग प्रदर्शन का आकलन करने के लिये पुष्पक को चिनूक हेलीकॉप्टर से उतारा गया।
  • SSLV विकास:
    • अगस्त 2024 में ISRO ने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) की तीसरी और अंतिम विकास उड़ान शुरू की, जिसने EOS-08 और SR-0 डेमोसैट उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया। 
    • लगातार दो सफल परीक्षण उड़ानों के साथ ISRO ने SSLV के विकास को पूरा किया और इसे उद्योग जगत को हस्तांतरित कर दिया।
  • निजी अंतरिक्ष मिशन:
    • मार्च 2024 में अग्निकुल कॉसमॉस ने अपने SoRTeD-01 वाहन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जो भारत से अपने पहले चरण के रूप में अर्द्ध-क्रायोजेनिक इंजन द्वारा संचालित वाहन का पहला प्रक्षेपण था।
    • स्काईरूट एयरोस्पेस अपने विक्रम 1 लॉन्च वाहन की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
    • ध्रुव स्पेस और बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस ने जनवरी 2024 में PSLV-C58 मिशन के चौथे चरण पर अपने पेलोड के लिये परिक्रमा मंच के रूप में प्रयोग किये।

[स्रोत : drishtiias.com]

अपने दोस्तों को शेयर करें, शिक्षा को फैलाएं और जन-जन को शिक्षित बनायें और देश को डिजिटल इंडिया बनाने में अपना योगदान करें।