सफलता की सबसे बड़ी बीमारी बहाने बनाना है।
जब भी कोई इंसान बहाना बनाता है तो उसे खुद पर शर्मिंदगी महसूस करनी चाहिए क्योंकि वो किसी और को नहीं बल्कि स्वयं को धोखा दे रहा है ।
अक्सर लोग असफलता को मज़बूत तर्क बनाकर पेश करते हैं जिससे यह साबित हो सके कि दूसरों के मुक़ाबले उनके सामने ज़्यादा मुश्किलें थी।
यदि वाकई में सपनों को पाना चाहते हैं तो बहाने बनाना बंद कीजिए।
क्योंकि दुनियाँ में तमाम हस्तियाँ हैं जिनके सामने आपसे भी ज़्यादा विपरीत परिस्थितियाँ थी – उन्हें जीवन में कई बार धिक्कारा गया था , उनका तिरस्कार किया गया था , उन्हें कुचला गया था । उनकी भी हिम्मत बार-बार टूटी लेकिन वे तमाम मुश्किलों के बाद भी डटे रहे , जुटे रहे , एक सुनहरी सुबह की उम्मीद में काम करते रहे और सफल होकर बहाने बनाने वालों के लिए एक उदाहरण दिया।
ऐसा नहीं है कि हर किसी को एक समान मेहनत करने पर समान परिणाम मिलते हैं । किसी को उतनी ही उपलब्धियां हासिल करने के लिए ज़्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है तो किसी को कम । कभी कभी इसका उल्टा भी होता है , किसी को उपलब्धियां जल्दी मिल जाती हैं और किसी को देर से ।
सफलता देर से मिली या जल्दी , ज़्यादा मेहनत से मिली या कम मेहनत से , ज़्यादा हार के बाद मिली या कम हार के बाद , ये बिल्कुल भी महत्व नहीं रखता । महत्वपूर्ण यह है कि अंततः आपने वह पाया या नहीं , जो आप पाना चाहते थे । आपने 100% झोंककर कार्य किया या आधे अधूरे मन से बहाने बनाते रहे।
आपके बहानों का शुद्धिकरण करने के लिए सबसे पहले आपके बहानों का अंतिम संस्कार करना ज़रूरी है ।
आइए देखें , आपके जैसी परिस्थितियाँ होने के बाद भी कौन संघर्ष करके शीर्ष पर पहुंचा । कौन से ऐसे लोग हैं , जिन्होनें बहानों का प्रयोग करने के बजाय चुनौतियों का सामना करने का निर्णय लिया।
🔴बहाना 1 – मुझे उचित शिक्षा लेने का अवसर नहीं मिला ।
✅उचित शिक्षा का अवसर फोर्ड मोटर्स के मालिक हेनरी फोर्ड को भी नहीं मिला ।
🔴बहाना 2 – बचपन में ही मेरे पिता का देहांत हो गया था ।
✅प्रख्यात संगीतकार ए.आर. रेहमान के पिता का भी देहांत बचपन में हो गया था ।
🔴बहाना 3 – मैं अत्यंत गरीब घर में पैदा हुआ था ।
✅पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भी गरीब घर में पैदा हुए थे ।
🔴बहाना 4 – बचपन से ही मैं लगातार अस्वस्थ रहता था ।
✅ऑस्कर विजेता अभिनेत्री मरली मेटलीन भी बचपन से बहरी और अस्वस्थ थी ।
🔴बहाना 5 – मैंने साइकल पर घूमकर आधी ज़िंदगी गुजारी।
✅निरमा के करसन भाई पटेल ने भी साइकल पर निरमा बेचकर आधी ज़िंदगी गुजारी।
🔴बहाना 6 – एक दुर्घटना में अपाहिज होने के बाद मेरी हिम्मत चली गई।
✅प्रख्यात नृत्यांगना सुधा चंद्रन के पैर नकली हैं।
🔴बहाना 7- मुझे बचपन से मंद बुद्धि कहा जाता है ।
✅थॉमस एडीसन को भी बचपन से मंद बुद्धि कहा जाता था ।
🔴बहाना 8 – मैं इतनी बार हार चुका हूँ कि हिम्मत नहीं बची ।
✅अब्राहम लिंकन पंद्रह बार चुनाव हारने के बाद राष्ट्रपति बने ।
🔴बहाना 9 – मुझे ठीक से इंग्लिश नहीं आती ।
✅राजनीतिज्ञ लालू यादव को भी ठीक से इंग्लिश नहीं आती।
🔴बहाना 10 – मुझे बचपन से परिवार की ज़िम्मेदारी उठानी पड़ी।
✅लता मंगेशकर को भी बचपन से परिवार की ज़िम्मेदारी उठानी पड़ी।
इसके बावजूद बहुत से ऐसे उदाहरण है जिन्होंने अपनी कमजोरियों को दरकिनार कर सफकता हासिल की –
👉वर्जिन एयरलाइंस के प्रमुख रिचर्ड ब्रेन्सन को भी आँखों की कमजोरी और डिस्लेक्सिक जैसी ढेर सारी बीमारियाँ हैं ।
👉लेखक वेद प्रकाश मेहता की आँखें नहीं हैं ,
👉राष्ट्रपति रूज़वेल्ट के दोनों पैर काम नहीं करते थे ,
👉स्वर्ण पदक विजेता विलमा रूडोल्फ को पोलियो था ।
आज आप जहां भी हैं , कल आप जहां भी होंगे। इसके लिए आप किसी और को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। इसलिए आज चुनाव कीजिए सफलता और सपने चाहिए कि खोखले बहाने। सीधी बात
👉बहाने बनाकर आप किसी और का नहीं खुद का नुकसान कर रहे हैं ।
👉समय निकलने के बाद आप बीते दिनों के नाकारापन और बहानेबाजी को याद करके पछताएँगे लेकिन तब आपके पास करने को कुछ नहीं बचेगा ।
👉हर व्यक्ति हर क्षेत्र में सफल नहीं हो सकता । अपना क्षेत्र अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार चुनिए ।
👉यदि आपके अंदर जीतने का जुनून है तो जीत आपको अवश्य मिलेगी , धैर्य से डटे रहिए ।