संत कबीर दास जी का जीवन परिचय

संत कबीर दास जी का जीवन परिचय Biography of Sant Kabir Das Ji

कबीर दास जी भारतीय संत, कवि और समाज सुधारक थे, जिनकी रचनाओं ने भक्ति आंदोलन को गहराई से प्रभावित किया। वे 15वीं शताब्दी में जन्मे माने जाते हैं और हिंदू-मुस्लिम एकता, आध्यात्मिकता और सामाजिक समानता के प्रबल समर्थक थे। आइए उनके जीवन, विचारों और रचनाओं के बारे में विस्तार से जानें:


🧑‍🦱 कबीर दास जी का जीवन परिचय

  • जन्म: लगभग 1398 – 1448 ईस्वी (कुछ स्रोत 1518 तक मानते हैं)
  • जन्म स्थान: वाराणसी (काशी), उत्तर प्रदेश
  • धर्म: जन्म से मुसलमान जुलाहा परिवार में पले, लेकिन विचारों से संत
  • गुरु: स्वामी रामानंद को अपना गुरु माना जाता है

कहा जाता है कि कबीर एक विधवा ब्राह्मणी के पुत्र थे, जिन्हें एक मुस्लिम जुलाहा दंपत्ति ने पाल-पोसकर बड़ा किया। यह भी माना जाता है कि वे अनपढ़ थे, लेकिन उनकी रचनाएँ इतनी प्रभावशाली हैं कि आज भी वे जनमानस में जीवित हैं।


📜 कबीर के विचार और शिक्षाएँ

कबीर के विचार बहुत ही क्रांतिकारी थे। वे धर्म, जाति और पाखंड के घोर विरोधी थे। उनके प्रमुख विचार:

  1. ईश्वर एक है – उन्होंने “राम” और “अल्लाह” को एक ही सर्वोच्च सत्ता के दो नाम माना।
  2. मूर्ति पूजा और धार्मिक कर्मकांड का विरोध – उन्होंने बाहरी आडंबर की बजाय आंतरिक भक्ति को महत्व दिया।
  3. जातिवाद का विरोध – उन्होंने सभी इंसानों को एक समान बताया।
  4. गुरु की महिमा – कबीर गुरु को ईश्वर से भी ऊपर मानते थे।

प्रसिद्ध दोहा:

गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाय
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय॥


✍️ कबीर की रचनाएँ

कबीर की वाणी को “कबीर ग्रंथावली” में संकलित किया गया है। उनकी रचनाएँ सरल भाषा (खड़ी बोली, अवधी, ब्रज और पंचमेल खिचड़ी) में हैं और लोकभाषा में लिखी गईं, जिससे आम जन तक आसानी से पहुँचीं।

उनके प्रमुख साहित्यिक रूप हैं:

  • दोहा (दो पंक्तियों में गूढ़ ज्ञान)
  • साखी
  • रमैनी
  • शब्द

🌏 कबीर का प्रभाव और विरासत

  • कबीर के अनुयायियों को कबीरपंथी कहा जाता है।
  • उनकी शिक्षाओं ने हिंदू और मुस्लिम दोनों समाजों को आत्मनिरीक्षण करने पर मजबूर किया।
  • वे तुलसीदास, सूरदास, मीराबाई जैसे भक्त कवियों के पूर्वज माने जाते हैं।

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