हिन्दू नववर्ष यानी नव संवत्सर की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होती है। सनातन परंपरा में इस दिन को ही साल का पहला दिन माना जाता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन को ही साल का पहला दिन मानकर भारतवर्ष में काल गणना की जाती है।
इस त्यौहार को भारत के हर राज्य में अलग-अलग नाम से जाना जाता है।
हिन्दी भाषी राज्यों में इसे हिन्दू नववर्ष या नव संवत्सर के नाम से जाना जाता है, तो वहीं महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में उगादि, जम्मू और कश्मीर में नवरेह तथा मणिपुर में साजिबु नोंगमा पंबा के नाम से जाना जाता है।
इस दिन से शुरू होगा नव संवत्सर
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार इस साल हिन्दू नववर्ष की शुरुआत 9 अप्रैल दिन मंगलवार से होगी।
भारत की एक बड़ी जनसंख्या इसी दिन को नया साल मनाती है और इसी के अनुसार शुभ कार्यों को करने के लिए हिन्दू तिथियों और मुहूर्तों का प्रयोग किया जाता है।
चैत्र माह में इसलिए मनाया जाता है नववर्ष
पृथ्वी के निर्माण का उल्लेख ब्रह्म पुराण में मिलता है। जिसमें बताया गया है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही ब्रह्मा भगवान ने इस पृथ्वी की रचना की थी। जिसके बाद से सृष्टि का संचालन प्रारंभ हुआ। इसलिए सनातन धर्मावलंबी इसी दिन हिन्दू नववर्ष मनाते हैं।
नव संवत्सर का इतिहास
कहा जाता है कि नव संवत्सर मनाने की शुरुआत उज्जैन के महान सम्राट विक्रमादित्य के कार्यकाल में हुई थी। इसे भारतीय नववर्ष के नाम से भी जाना जाता है। विक्रमादित्य के समय में इसकी शुरुआत होने से इसे विक्रम संवत के नाम से जाना जाता है।
शक संवत और विक्रम संवत में अंतर
शक संवत को सरकारी तौर पर मान्यता दी जाती है, क्योंकि प्राचीन शिलालेखों में इसका वर्णन मिलता है। यह ग्रेगोरियन कैलेंडर से आमतौर पर 78 वर्ष पीछे चलता है।
ऐसे हुई विक्रम संवत मनाने की शुरुआत
राजा विक्रमादित्य के दरबार में वराहमिहिर नाम के एक प्रसिद्ध खगोलशास्त्री थे। उन्हें सूर्य, चंद्रमा और तारों तथा उनकी गति के बारे में अच्छा खासा ज्ञान था। उन्हीं ने सबसे पहले साल के सभी दिनों को विक्रम संवत के रूप में मनाने का प्रस्ताव दिया था। विक्रम संवत ग्रेगोरियन कैलेंडर से लगभग 57 वर्ष आगे चलता है। उदाहरण के लिए 2024+57=2081 विक्रम संवत शुरू होने जा रहा है।
हिंदू कैलेंडर के 12 महीनों के नाम
नव संवत्सर से शुरू हुए हिन्दू कैलेंडर में कुल 12 महीने होते हैं, जिनमें चैत्र पहला महीना होता है जबकि फाल्गुन आखिरी महीना होता है।
हिंदू कैलेंडर के 12 माह-
चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन।