(Chandrayaan 3 Mission,Chandrayaan 3 Spacecraft Feature, Launch Date,Launch Place, Budget, Date and Time, Launching, Benefit)
भारतीय चंद्र मिशन चंद्रयान-3 लॉन्च हो चुका है। चंद्रयान-3 का लॉन्च शुक्रवार, 14 जुलाई, 2023 को दोपहर 2:35 बजे सतीश धवन SHAR (अंतरिक्ष केंद्र), श्रीहरिकोटा से हो गया है। शुक्रवार को लॉन्च के साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का तीसरा मून मिशन शुरू हुआ।
चंद्रयान-3 को ले जाने वाले 642 टन वजनी और 43.5 मीटर ऊंचे LVM3-M4 रॉकेट को चंद्रमा की ओर ले जाने के लिए आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। इस तीसरे भारतीय चंद्र मिशन में वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की “सॉफ्ट लैंडिंग” का भी लक्ष्य बना रहे हैं। चंद्रयान-2 मिशन के दौरान विक्रम लैंडर आखिरी वक्त पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में नाकाम रहा।
अगर इस बार यह मिशन सफल रहा तो भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों की सूची में मिल हो जाएगा। ISRO ने अगस्त के अंत में चंद्रयान-3 की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की योजना बनाई गई है।
आशा है कि यह मिशन भविष्य के Interplanetary मिशनों के लिए उपयोगी होगा। चंद्रयान-3 मिशन, जिसमें एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल((LM)), प्रोपल्शन मॉड्यूल (PM) और एक रोवर शामिल है, जिसका उद्देश्य अंतरग्रहीय मिशनों के लिए आवश्यक नई तकनीकों का विकास और प्रदर्शन करना है।
पृथ्वी की कक्षा में पहुंचने के बाद चंद्रयान 3 को लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्टरी में डाला गया। अगले 42 दिनों में यह 384,000 किमी से अधिक की दूरी पर चंद्रमा पर पहुंचेगा।
इसके लॉन्च होने से पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा,
भारतीय अंतरिक्ष के क्षेत्र में 14 जुलाई 2023 का दिन हमेशा स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा तथा यह राष्ट्र की आशाओं और सपनों को आगे बढ़ाएगा।
चंद्रयान 3 की जानकारी – Chandrayaan 3 in Hindi
नाम | चंद्रयान-3(Chandrayaan – 3) |
प्रक्षेपण तिथि | 14 जुलाई,2023 14:35 IST |
लांच किया गया | इसरो द्वारा |
मिशन नेतृत्व | डॉ. रितु कारिधाल |
मिशन | प्रोपल्शन मॉड्यूल, रोवर, लैंडर |
वजन | 642 टन |
ऊँचाई | 43.5 मीटर |
यात्रा दुरी | 400,000 किलोमीटर |
राकेट नाम | LVM3 M4 |
लेंडर का भार | 1749 किलोग्राम |
रोवर का भार | 26 किलोग्राम |
मिशन प्रकार | चन्द्र लैंडर तथा रोवर |
मिशन अवधि | 42 दिन |
चंद्रयान 3 लॉन्च दिनांक और समय – Chandrayaan 3 Launch Date Time
चंद्रयान-3 का लॉन्च शुक्रवार, 14 जुलाई, 2023 को दोपहर 2:35 बजे सतीश धवन SHAR (अंतरिक्ष केंद्र), श्रीहरिकोटा से किया गया।
चंद्रयान मिशन का इतिहास – Chandrayaan 3 Mission Background
चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग क्षमता प्रदर्शित करने के लिए चंद्रयान कार्यक्रम के दूसरे चरण में, इसरो ने लॉन्च वाहन मार्क III (LVM-3) नामक रॉकेट के साथ चंद्रयान -2 लॉन्च किया, जिसमें एक ऑर्बिटर, एक जांच और एक रोवर शामिल था। किया। प्रज्ञान रोवर को तैनात करने के लिए लैंडर को सितंबर 2019 में चंद्र सतह पर टचडाउन करना था।
इससे पहले, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक मिशन पर जापान के साथ सहयोग की खबरें चर्चित हुई थीं, जिसमें भारत ने लैंडर प्रदान किया, जबकि जापान लॉन्चर और रोवर दोनों ही तकनीक दी। इस मिशन में रात के समय साइट सैंपलिंग और चांद पर सर्वाइव करने की तकनीक सम्मिलित होने का अनुमान था।
विक्रम लैंडर की बाद की विफलता के कारण जापान के सहयोग से 2025 के लिए नियोजित चंद्र ध्रुवीय खोजबीन मिशन (LUPEX) के लिए आवश्यक लैंडिंग क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए एक और मिशन (चंद्रयान -3) आयोजित करने का प्रस्ताव दिया गया। मिशन के महत्वपूर्ण फ्लाइट ऑपरेशन के दौरान, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) द्वारा संचालित यूरोपीय अंतरिक्ष ट्रैकिंग (एस्ट्रैक) अनुबंध के तहत मिशन का समर्थन करेगी।
मिशन चंद्रयान 3 क्या है?
चंद्रयान 3 में एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रॉपल्सन मॉड्यूल लगाया हुआ हैं। इसका कुल वजन 3,900 किलोग्राम है। इसका उद्देश्य अंतरग्रहीय मिशनों के लिए आवश्यक नई प्रोद्योगिकियों का विकास और प्रदर्शन है। चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है, जो चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और रोविंग की एंड-टू-एंड क्षमता प्रदर्शित करेगा।
यह रॉकेट पिछले रॉकेट से भारी है, जिसे ‘बाहुबली’ भी कहा जाता है। यह देश का सबसे भारी रॉकेट है। इस अंतरिक्ष यान को भेजने का उद्देश्य पृथ्वी से बाहर यानों को “सॉफ्ट-लैंड” करने की क्षमता हासिल करना है और अभी तक के केवल तीन देशों के पास ही यह क्षमता है।
इस तरह भारत चंद्रमा के वातावरण में सुरक्षित लैंडिंग और रोविंग की एंड-टू-एंड कैपेबिलिटी प्रदर्शन करेगा। यह मिशन किसी भारतीय को पहली बार अंतरिक्ष में भेजने की मिशन की क्षमता को बढ़ाता है। गगनयान मिशन के माध्यम से भारत ने वर्ष 2024 में पहली बार इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी की है।
चंद्रयान-2 की असफलता के बाद इसरो ने चंद्रयान-3 को सफलता से लॉन्च कराने के लिए एक बार फिर चांद को लेकर मिशन तैयार किया था और भारत ने 14 जुलाई को शुक्रवार, दोपहर 2:35 बजे भारत इतिहास के पन्नों में एक नया अध्याय जुड़ा चुका है।
चंद्रयान-3 के अभियान के लिए Launch Vehicle Mark(LVM)-3 का इस्तेमाल किया गया है, इसी के माध्यम से यह मिशन लांच किया गया।
चंद्रयान को चंद्रमा तक पहुंचने में लगभग 42 दिन लगेंगे। प्रक्षेपण के ठीक 16 मिनट बाद दोपहर करीब 2:50 बजे चंद्रयान-3 करीब 179 किमी की ऊंचाई पर रॉकेट से अलग हो गया। तब से अब तक चंद्रयान-3 करीब 3.84 लाख किलोमीटर की यात्रा कर चुका है। चांद की लंबी यात्रा शुरू हो गई है, लैंडर के 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की पूरी आशा है।
ISRO चार साल में पहली बार पृथ्वी के एकमात्र उपग्रह चंद्रयान को भेज चुका है। पूरे देश की निगाहें इसरो के वैज्ञानिकों पर हैं, यदि इसरो का चंद्रमा पर ‘आसान’ तरीके से यान उतारने या यान को सुरक्षित उतारने का मिशन सफल रहा तो भारत चुनिंदा देशों की विशिष्ट सूची में शामिल हो जाएगा। यदि भारत ऐसा करने में सफल होता है, तो वह अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद इस सूची में चौथे स्थान पर होगा।
भारत एक नया कीर्तिमान स्थापित कर चुका है। भारतीय वैज्ञानिकों ने दोपहर 14:30 बजे श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 लॉन्च कर दिया है।
इस मिशन पर सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई थी। चंद्रयान-3 मिशन के तहत इसके रोबोटिक उपकरण को 24 अगस्त से पहले चंद्रमा के उस हिस्से (शेकलटन क्रेटर) पर उतर सकता है, जहां अभी तक किसी भी देश का कोई मिशन नहीं पहुंचा पाया है। इसी कारण पूरी दुनिया की निगाहें भारत के इस मिशन पर टिकी हुई हैं।
चंद्रयान-3 को LVM3 रॉकेट पर लॉन्च किया गया था। चंद्रमा की सतह पर लैंडर की सफल लैंडिंग के लिए इसमें कई तरह के सुरक्षा उपकरण लगाए गए थे।
चंद्रयान 3 की प्रति सेकंड स्पीड क्या है?
चंद्रयान 3 को दोपहर 2.35 बजे LVM3 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया । तब इसकी शुरु में स्पीड 1,627 किमी प्रति घंटा थी। लॉन्च के 108 सेकंड बाद 45 किमी की ऊंचाई पर इसका लिक्विड इंजन स्टार्ट हुआ और रॉकेट की गति बढ़कर 6437 किमी/घंटा हो गई। आसमान में 62 किमी तक पहुंचने पर दोनों बूस्टर रॉकेट से अलग हो गए और रॉकेट की गति 7000 किमी/घंटा तक पहुंच गई।
करीब 92 किमी की ऊंचाई पर चंद्रयान-3 को वायुमंडल से बचाने वाला हीट शील्ड टूट गया। 115 किमी की दूरी पर इसका लिक्विड इंजन भी अलग हो गया और क्रायोजेनिक इंजन ने काम करना शुरू कर दिया। उस समय गति 16,000 किमी/घंटा थी। क्रॉयोजनिक इंजन इसको 179 किमी की गति तक ले गया और इसकी गति 36.968 किमी प्रति घंटे थी।
चंद्रयान-3 को चांद तक पहुंचने में कितने दिन लगेंगे?
पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी लगभग 3.84 लाख किलोमीटर है। चंद्रयान-3 यह दूरी 40 से 50 दिन में तय करेगा। इसका मतलब है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो चंद्रयान-3 लैंडर 50 दिनों में चंद्रमा की सतह पर होगा। इसरो की योजना के अनुसार, विक्रम लैंडर 23-24 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। अगर लैंडर की दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिग होती है, तो भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा।
सूर्योदय की स्थिति के कारण चंद्रयान-3 की लैंडिंग में अधिक टाइम भी लग सकता है
चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग 23-24 अगस्त को निर्धारित है, लेकिन सूर्योदय की स्थिति के आधार पर इसमें बदलाव हो सकता है। अगर सूर्योदय में देरी हुई तो इसरो लैंडिंग का समय बढ़ा सकता है और सितंबर में लैंडिंग कर सकता है। इसरो के निदेशक एस.सोमनाथ ने कहा कि लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान 3 पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करेगा और फिर धीरे-धीरे चंद्रमा की ओर बढ़ेगा। हमें उम्मीद है कि सब कुछ ठीक रहेगा और हम 23 अगस्त को या उसके बाद यह लैंड हो जायेगा।
ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश होगा
यह मिशन भारत के लिए बेहद अहम है। क्योंकि अगर भारत इस मिशन में सफल हो गया तो वह ऐसा करने वाला पहला देश होगा। अभी तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कोई भी देश नहीं उतरा है।
इस अभियान का मुख्य लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर और रोवर को सुरक्षित रूप से उतारकर और बर्फ की परत और अन्य खनिजों की खोज करके भारत की क्षमताओं का प्रदर्शन करना है।
अगर चंद्रयान 3 सफलतापूर्वक अपना मिशन पूरा कर लेता है तो भारत चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यान उतारने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। USSR, USA और China के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश होगा।
क्या है चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य – Chandrayaan 3 Mission Objective
- इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन के लिए तीन मुख्य उद्देश्य निर्धारित किए हैं।
- चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सुगम लैंडिंग करना।
- रोवर को चाँद पर घूमते हुए प्रदर्शित दिखाना।
- लैंडर और रोवर के माध्यम से चंद्रमा की सतह/ बाह्यमंडल का वैज्ञानिक अध्ययन करना।
- बर्फ की परत की खोज व अन्य खनिज खोज करना।
- इस अंतरिक्ष यान का रोवर चंद्रयान 2 से लिए गए ऑर्बिटर की सहायता से पृथ्वी से संपर्क करेगा।
चंद्रयान-3 मिशन की विशेषताएं – Chandrayaan 3 Spacecraft Feature
- सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग
- चंद्र अन्वेषण की निरंतरता
- रोवर एक्सप्लोरेशन
- वैश्विक वैज्ञानिक सहयोग
- चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की खोज
- आर्टेमिस-III मिशन के लिए समर्थन
- लैंडिंग साइट की विशेषता
- प्रौद्योगिकी प्रगति
चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 में अंतर
भारत ने चंद्रयान 2 पर ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर का प्रयोग किया है। हालांकि, इस मिशन की विफलता के बाद भारत ने अपने नए मिशन में कई बदलाव किए। चंद्रयान-3 मिशन में स्वदेशी रूप से विकसित प्रोप्लशन मॉड्यूल(PM) शामिल है जो ऑर्बिटर की जगह लेता है।
चंद्रयान 2 की तुलना में चंद्रयान-3 का लैंडर अधिक मजबूत पहियों के साथ 40 गुना बड़ी जगह पर उतारेगा। लैंडर चंद्रमा पर सुरक्षित रूप से उतर सके इसके लिए लैंडर पर विभिन्न सुरक्षा उपकरण लगाए गए हैं। चंद्रयान 3 मिशन का विषय ‘Science Of The Moon’ यानी ‘चंद्रमा का विज्ञान’ है।
चंद्रयान 2 में ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर थे। वहीं, चंद्रयान-3 में एक प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और एक रोवर होगा। चंद्रयान-3 का लैंडर+रोवर चंद्रयान-2 के लैंडर+रोवर से लगभग 250 किलोग्राम ज्यादा भारी है। चंद्रयान-2 मिशन की लाइफ जीवन सात साल अनुमानित है, जबकि चंद्रयान-3 का प्रणोदन मॉड्यूल तीन से छह महीने के बीच चलने के लिए डिज़ाइन किया गया है। चंद्रयान 2 के मुकाबले में चंद्रयान-3 से अधिक तेज गति से चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है। चंद्रयान-3 के लैंडर में चार थ्रस्टर्स लगे हुए हैं।
चंद्रयान–3 की बनावट कैसी है ?
इसके मुख्यतया तीन भाग होंगे –
- प्रोपल्शन मॉड्यूल
- लैंडर
- रोवर
प्रोपल्शन मॉड्यूल
चंद्रयान-3 प्रोपल्शन मॉड्यूल है, जिसका प्रयोग रिले उपग्रह के रूप में होगा।
इसका प्रोपल्शन मॉड्यूल, संचार रिले उपग्रह की तरह व्यवहार करेगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल संरचना, लैंडर और रोवर को तब तक अंतरिक्ष में आगे बढ़ाएगा, जब तक कि अंतरिक्ष यान 100 किलोमीटर की चंद्र कक्षा तक नहीं पहुंच जाता। प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर के अतिरिक्त, चंद्र कक्षा से पृथ्वी के वर्णक्रमीय और पोलारिमेट्रिक माप का अध्ययन करने के लिए ‘SHAPE’ नामक एक पेलोड भी ले जा रहा है।
लैंडर
लैंडर चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए जिम्मेदार है। यह बॉक्स के आकार का है और इसमें चार लैंडिंग लेग और प्रत्येक 800 न्यूटन के चार लैंडिंग थ्रस्टर हैं। यह साइट पर विश्लेषण के लिए रोवर और विभिन्न वैज्ञानिक उपकरणों को ले जाएगा।
चंद्रयान-3 लैंडर में केवल चार थ्रॉटल-सक्षम इंजन होंगे। चंद्रयान-2 विक्रम के विपरीत, जिसमें पांच 800 न्यूटन इंजन थे, जिनमें से पांचवां एक निश्चित थ्रस्ट के साथ केंद्रीय रूप से लगाया गया था। इसके अलावा, चंद्रयान-3 लैंडर लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर (एलडीवी) से लैस होगा।
चंद्रयान-2 के मुकाबले में, प्रभाव पैरों को मजबूत बनाया गया है और उपकरण अतिरेक को बढ़ाया गया है। इसरो संरचनात्मक कठोरता को बढ़ाने और कई आपातकालीन प्रणालियों को लागू करने के लिए काम कर रहा है।
रोवर
प्रज्ञान रोवर लैंडिंग साइट के आसपास मौलिक संरचना को रिकॉर्ड करने के लिए अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) और प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) नामक एक पेलोड से युक्त है।
रोवर भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह देश की बढ़ती तकनीकी प्रगति का प्रमाण है और निश्चित रूप से चंद्रमा के बारे में हमारी समझ में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
चंद्रयान-3 पर कितना खर्च आया है- Chandrayaan 3 cost
दिसंबर 2019 में, यह बताया गया कि इसरो ने परियोजना के लिए 75 बिलियन रुपये (US$9.4 मिलियन) के प्रारंभिक फंडिंग के लिए आवेदन किया था, जिसमें मशीनरी, उपकरण और अन्य लागतों के लिए 60 बिलियन रुपये (US$7.5 मिलियन) शामिल थे। शेष 15 अरब रुपये (US$1.9 मिलियन) राजस्व व्यय मद के तहत मांगा गया है।
इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. सिवन ने परियोजना के अस्तित्व की पुष्टि की और उन्होंने कहा कि अनुमानित लागत लगभग 615 मिलियन रुपये (2023 में 721 मिलियन रुपये या यूएस$90 के बराबर) होगी।
चंद्रयान-3 की लैंडिंग के चरण (Phases of Chandrayaan-3 landing)
चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग दस चरणों में होगी। आइये हम इनकी लैंडिंग के चरणों को जानते है।
पहला चरण – इस चरण में पृथ्वी पर केंद्रित गतिविधियां शामिल हैं। इसमें विशेष रूप से पृथ्वी से संबंधित कार्य तीन चरण में होते है। जिसमें लॉन्च से पहले का स्टेज शामिल होता है और लॉन्च और रॉकेट को अंतरिक्ष तक ले जाने का स्टेज शामिल होता है। और तीसरा स्टेज होता है धरती की जो अलग-अलग कक्षाएं है उसमें चंद्रयान-3 को आगे बढ़ाना। तीसरे स्टेज में चंद्रयान -3 को पृथ्वी के चारों ओर विभिन्न कक्षाओं के माध्यम से संचालित करना। इस चरण के दौरान, चंद्रयान-3 दूसरे चरण की ओर बढ़ने से पहले पृथ्वी के चारों ओर चारों दिशाओं में लगभग छ: परिक्रमा करेगा।
दूसरा चरण – दूसरे चरण में चंद्रयान-3 को एक लंबे से सोलर ऑर्बिट से होते हुए चंद्रमा की ओर भेजा जायेगा। इस चरण में प्रक्षेप पथ स्थानांतरित हो जाता है और अंतरिक्ष यान भूस्थैतिक कक्षा से चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू करता है।
तीसरा चरण – तीसरे चरण में चंद्रयान-3 को चांद की कक्षा में भेजा जाएगा। इसे ’’लूनर ऑर्बिट इंसर्शन’’ (LOI) भी कहते हैं।
चौथा चरण – चौथे चरण में चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह से तकरीबन 100 किलोमीटर ऊंचाई पर चक्कर लगाना स्टार्ट कर देगा।
पांचवां चरण – पांचवें चरण में चंद्रयान में मौजूद प्रोपल्शन मॉड्यूल(PM) और लूनर मॉड्यूल(LM) एक दूसरे से अलग हो जायेंगे।
छठा चरण – छठा चरण ’डी-बूस्ट’ (D- Boost) चरण है, जिसमें अंतरिक्ष यान का वेग उस दिशा में कम हो जाता है जिस दिशा में वह जा रहा है।
सातवां चरण – सातवें चरण को ’प्री-लैंडिंग फेज’ कहा जाता है, लैंडिंग से पहले की जो अवस्था होती है, वह इस सातवें चरण द्वारा जानी जाती है। इसमें लैडिंग की तैयारी शुरू हो जाएगी।
आठवां चरण – आठवें चरण में चंद्रयान की वास्तविक लैंडिंग कराई जायेगी।
नौवां चरण – नौवें चरण में रोवर और लैंडर दोनों ही चंद्रमा की सतह पर पहुंचेंगे और सामान्य संचालन शुरू करेंगे।
दसवां चरण – इसमें प्रोपल्शन मॉड्यूल(PM) चंद्रमा की 100 किलोमीटर की कक्षा में वापस पहुंचता है।
चंद्रयान 3 अंतरिक्ष मिशन में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को क्यों चुना गया?
- चंद्रयान 3 के साथ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को टारगेट करने का एक प्रमुख कारण यह था कि इसमें उत्तरी ध्रुव की बजाय बड़े छाया वाले क्षेत्र हैं। और यह भी कहा जाता है कि चंद्रमा की सतह पर इन क्षेत्रों में शायद पानी का स्थायी स्रोत है।
- दक्षिणी ध्रुव में गड्ढों में भी वैज्ञानिकों की गहरी रूचि है। उनका मानना है कि इनमें रहस्यमय जीवाश्म रिकॉर्ड हो सकते हैं।
- यहाँ सूर्य का प्रकाश नहीं पहुँच पाता है , इसलिए यहाँ का तापमान -230 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है।
चंद्रयान-3 के निर्माण में कई कंपनीयों ने भी निभाया अहम रोल
इस मिशन में सबसे पहले हम बात करेंगे गोदरेज एयरोस्पेस(Godrej Aerospace) की। मुंबई स्थित इस कंपनी ने इस मिशन के लिए कई महत्वपूर्ण पार्ट्स (Hardware) प्रदान किए हैं। चंद्रयान-3 के रॉकेट इंजन और थ्रस्टर का निर्माण गोदरेज एयरोस्पेस ने किया है।
लार्सन एंड टुब्रो (L&T) ने भी चंद्रयान-3 में कई पार्ट्स को निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उसने एलवीएम-3 एम-4 को बनाने में अपना योगदान दिया है।
टाटा ग्रुप जिसका भी इस मिशन में बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा। टाटा के कारखाने में ही उस क्रेन को तैयार किया गया, जिसके जरिये चंद्रयान 3 को अंतरिक्ष तक पहुंचाने के लिए रॉकेट लॉन्च किया गया। टाटा स्टील द्वारा निर्मित यह क्रेन इलेक्ट्रिक ओवरहेड ट्रैवलिंग है।
हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स ने चंद्रयान 3 के निर्माण के लिए उपयोगी कम्पोनेंट्स नैशनल एरोस्पेस लैबोरेटरीज़ के दिए है , जिसकी विशेष भूमिका है।
BHEL ने चंद्रयान 3 के निर्माण के लिए ISRO को 100 बैटरी उपलब्ध करवाई है।
रितु करिधाल, जो चांद पर चंद्रयान की कराएंगी सॉफ्ट लैंडिंग
चद्रयान-3 का अभियान लखनऊ, उत्तर प्रदेश के लिए बहुत खास है क्योंकि भारत की ’रॉकेट वुमैन’ के नाम से मशहूर लखनऊ की बेटी डॉ. रितु करिधाल केे इशारे पर चंद्रयान-3 श्रीहरिकोटा से अंतरिक्ष के लिए रवाना हुआ।
चंद्रयान-3 के लांच के पीछे एक टीम सालों से लगी हुई है। इस टीम की अध्यक्षता रितु कारिधाल कर रही है। यह इसरो में एक सीनियर साइंटीस के रूप में कार्यरत है। इस मिशन के पीछे रितु करिधाल की बहुत बड़ी भूमिका है और उन्हें ’राॅकेट वुमैन’ कहा जाता है।
इसरो ने घोषणा की कि चंद्रयान-3 की लैंडिंग की जिम्मेदारी इस बार वरिष्ठ महिला वैज्ञानिक डॉ. रितु को सौंपी गई है और वह चंद्रयान-3 की मिशन डायरेक्टर हैं। रितु, एक वरिष्ठ वैज्ञानिक जो चंद्रयान 3 मिशन मैनेजर के रूप में काम करेंगी। इससे पहले डाॅ. रितु मंगलयान की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर और चंद्रयान-2 में मिशन डायरेक्टर रह चुकी हैं। चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं है, बल्कि एक प्रोपल्शन मॉड्यूल है, जो संचार उपग्रह की तरह काम करता है।
कौन है रितु करिधाल ?
रितु करिधाल का जन्म 13 अप्रैल, 1975 को उत्तरप्रदेश के राजधानी लखनऊ में एक मध्यम वर्गीय परिवार हुआ। बचपन से ही उन्हें चाँद, तारों और आकाश में रुचि थी। इसरो और नासा से संबंधित समाचार पत्रों के लेख, सूचनाएं और तस्वीरें एकत्र करना उनका शौक था।
इनकी स्कूली-शिक्षा की पढ़ाई-लिखाई भी यहीं से हुई। इसके बाद उन्होंने ’लखनऊ यूनिवर्सिटी’ से फिजिक्स में AC and MSC पूरा किया। इसके बाद इन्होंने बेंगलुरु के ’इंडिया एस्ट्टिीयूट ऑफ़ साइंस’ में ’मास्टर ऑफ़ टेक्नोलाॅजी’ की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने ’स्पेस साइंस’ में करियर बनाने की शुरूआत की।
नवंबर 1997 में डॉ. रितु करिधाल ने इंजीनियर के रूप में इसरो में काम करना शुरू किया।
WEF की वेबसाइट के मुताबिक, रितु करिधाल ने इंटरनेशल और नेशनल जनरल में अब तक 30 से भी ज्यादा पेपर पब्लिश किये है। इनको कई अवाॅर्ड मिल चुके है। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने 2007 में रितु कारिधाल को इसरो का ’यंग साइंटीस’ अवाॅर्ड दिया था।
रितु कारिधाल ने मंगलयान मिशन में अहम भूमिका निभाई थी
रितु कारिधाल को पहली पोस्टिंग यू आर राव सेटेलाइट सेंटर में मिली थी। यहां उनके प्रदर्शन ने सभी को प्रभावित किया। 2007 में उनको इसरो में ’युवा वैज्ञानिक’ पुरस्कार मिला। यह उस समय की बात है जब मंगलयान मिशन पर काम शुरू होने वाला था।
रितु कारिधाल ने एक इंटरव्यू में कहा,
अचानक ही मुझे बताया कि अब मैं मंगलयान मिशन का हिस्सा हूं, ये मेरे लिए शॉकिंग था, लेकिन उत्साहजनक भी था, क्योंकि मैं एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का हिस्सा बनी थी, इसलिए मुझे चंद्रयान-3 की जिम्मेदारी मिली।
रितु कारिधाल चंद्रयान 2 की मिशन डायरेक्टर थीं। 2020 में उनके अनुभवों को देखते हुए इसरो ने फैसला किया कि चंद्रयान 3 मिशन की कमान भी रितु के हाथों में होगी। इस मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरामुथुवेल हैं। इसके अतिरिक्त चंद्रयान -2 मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, श्री एम वनिता को इस मिशन में डिप्टी डायरेक्टर की जिम्मेदारी दी गई है जो पेलॉड, डाटा मैनेजमेंट का काम संभाल रही हैं।
Conclusion – निष्कर्ष
आज के आर्टिकल में हमनें चंद्रयान 3 के बारे में विस्तार से जाना। हम आशा करतें है कि चंद्रयान क्या है(Chandrayaan 3 in Hindi) इस टॉपिक से आप भलीभांति परिचित हो गये होंगे …अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद ..
FAQ
1. चंद्रयान-3 कब और कहां से लांच किया गया ?
उत्तर – चंद्रयान-3 का लांच 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2.35 बजे आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से हुआ।
2. चंद्रयान-3 को किसके द्वारा लांच किया गया है ?
उत्तर – चंद्रयान-3 का लांच इसरों द्वारा किया गया है।
3. चंद्रयान-3 मिशन का नेतृत्व किसने किया है ?
उत्तर – चंद्रयान-3 मिशन का नेतृत्व सी. रितु करिधाल ने किया है।
4. चंद्रयान-3 की मिशन डायरेक्टर कौन है ?
उत्तर – चंद्रयान-3 की मिशन डायरेक्टर रितु कारिधाल है।
5. चंद्रयान-3 को किस लाॅन्च व्हीकल से प्रक्षेपित किया गया है ?
उत्तर – चंद्रयान-3 को LVM3-M4 व्हीकल से प्रक्षेपित किया गया है।
6. चंद्रयान-3 मिशन का पूरा बजट कितना है ?
उत्तर – चंद्रयान-3 मिशन में पूरा बजट 615 करोड़ है।
7. चंद्रयान-3 चंद्रमा पर कितने दिन के बाद पहुंचेगा ?
उत्तर – चंद्रयान-3 चंद्रमा पर 40 दिन के बाद पहुंचेगा।
8. चंद्रयान-3 का कुल वजन कितना है ?
उत्तर – चंद्रयान-3 का कुल वजन 3900 किलोग्राम है।
9. चंद्रयान-3 चंद्रमा के किस हिस्से पर लैंड करेगा ?
उत्तर – चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा।
10. चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग के बाद भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला कौन-सा देश बन जाएगा ?
उत्तर – चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग के बाद भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन जाएगा।
11. वर्तमान में इसरो के अध्यक्ष कौन है ?
उत्तर – एस सोमनाथ
12. चंद्रयान-3 के लिए प्रमुख राॅकेट इंजन का क्या नाम है ?
उत्तर – चंद्रयान-3 के लिए प्रमुख राॅकेट इंजन CE-20 क्रायोजेनिक इंजन है।
13. चंद्रयान-3 में कितने और कौन-कौन से माॅड्यूल शामिल है ?
उत्तर – चंद्रयान-3 में प्रोप्ल्शन माॅड्यूल, लैंडर माॅड्यूल और रोवर तीन माॅड्यूल शामिल है।
14. ’राॅकेट वुमैन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से किसे जाना जाता है ?
उत्तर – रितु करिधाल को ’राॅकेट वुमैन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से जाना जाता है।
15. चंद्रमा से पृथ्वी की दूरी कितनी है ?
उत्तर – चंद्रमा से पृथ्वी की दूरी 384,000 किमी. है।