भारतीय दंड संहिता – Indian Penal Code (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code, IPC) भारत में आपराधिक कानून का आधार है, जो विभिन्न अपराधों और उनके दंड को परिभाषित करती है। इसे 1860 में ब्रिटिश शासन के दौरान लॉर्ड मैकाले की अध्यक्षता में तैयार किया गया और 6 अक्टूबर 1860 को लागू किया गया। यह भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली का प्रमुख कानून है, जो अपराधों की परिभाषा, दंड, और अपवादों को व्यवस्थित करता है।
भारतीय दंड संहिता के प्रमुख बिंदु:
🔴 संरचना:
👉 IPC में 23 अध्याय और 511 धाराएँ हैं।
👉 यह विभिन्न प्रकार के अपराधों को कवर करता है, जैसे जीवन और संपत्ति के खिलाफ अपराध, धोखाधड़ी, मानहानि, और सार्वजनिक शांति के खिलाफ अपराध।
🔴 मुख्य श्रेणियाँ:
👉 जीवन और व्यक्ति के खिलाफ अपराध: हत्या (धारा 302), चोट (धारा 325), बलात्कार (धारा 376)।
👉 संपत्ति के खिलाफ अपराध: चोरी (धारा 379), डकैती (धारा 395), उगाही (धारा 383)।
👉 सार्वजनिक शांति के खिलाफ अपराध: दंगा (धारा 147), अफवाह फैलाना (धारा 505)।
👉 राज्य के खिलाफ अपराध: देशद्रोह (धारा 124A, अब विवादास्पद और संशोधन के अधीन)।
👉 नैतिकता और धर्म के खिलाफ अपराध: अश्लीलता (धारा 294), धार्मिक भावनाओं को ठेस (धारा 295A)।
👉 विवाह और परिवार संबंधी अपराध: दहेज हत्या (धारा 304B), व्यभिचार (धारा 497, अब निरस्त)।
🔴 दंड के प्रकार (धारा 53):
👉 मृत्युदंड
👉 आजीवन कारावास
👉 सश्रम या साधारण कारावास
👉 जुर्माना
👉 संपत्ति जब्ती
🔴 सामान्य अपवाद:
👉 पागलपन (धारा 84)
👉 नाबालिग द्वारा अपराध (7 वर्ष से कम आयु, धारा 82)
👉 दुर्घटना (धारा 80)
👉 आत्मरक्षा (धारा 96-106)
🔴 आधुनिक परिवर्तन:
👉 2013 संशोधन: बलात्कार और यौन अपराधों के लिए कठोर सजा (निर्भया मामले के बाद)।
👉 2018 संशोधन: 12 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड।
👉 2023 में बदलाव: भारतीय दंड संहिता को भारतीय न्याय संहिता (BNS) द्वारा प्रतिस्थापित किया गया, जो 1 जुलाई 2024 से लागू है। BNS में कई धाराएँ संशोधित हुईं, जैसे देशद्रोह की जगह “राष्ट्र-विरोधी गतिविधियाँ” (धारा 152)।
🔴 वर्तमान स्थिति:
👉 IPC अब भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita, BNS) के रूप में लागू है, जिसमें 358 धाराएँ हैं।
👉 BNS में नए अपराध (जैसे मॉब लिंचिंग) शामिल किए गए, और कुछ पुरानी धाराएँ (जैसे धारा 377 का हिस्सा, धारा 497) हटाई गईं।
👉 BNS का उद्देश्य औपनिवेशिक कानून को भारतीय संदर्भ में ढालना और आधुनिक अपराधों को संबोधित करना है।
भारतीय दण्ड संहिता भारत के अन्दर भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा व दण्ड का प्रावधान करती है। किन्तु यह संहिता भारत की सेना पर लागू नहीं होती। अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू एवं कश्मीर में भी अब भारतीय दण्ड संहिता (IPC) लागू है।
भारतीय दण्ड संहिता ब्रिटिश काल में सन् 1860 में लागू हुई। इसके बाद इसमे समय-समय पर संशोधन होते रहे ( विशेषकर भारत के स्वतन्त्र होने के बाद)। पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी भारतीय दण्ड संहिता को ही लागू किया। लगभग इसी रूप में यह विधान तत्कालीन अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों (बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई आदि) में भी लागू की गयी थी। लेकिन इसमें अब तक बहुत से संशोधन किये जा चुके है। भारतीय न्याय संहिता 2023 ने इसे विस्थापित कर दिया।
भारत में अगर कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार का अपराध करता हैं। तो अपराधी का अपराध देखते हुए उसके लिए धारा तय की जाती हैं। और उस धारा के आधार पर अपराधी को सजा सुनाई जाती हैं। यह धाराएं भारत के प्रत्यके नागरिक के लिए एक समान होती हैं।
फिर वह चाहे कोई भी नेता, अभिनेता या फिर गरीब परिवार का व्यक्ति ही क्यों ना हो। सभी के लिए एक समान धारा लगाई जाती हैं। वैसे भारत के संविधान में काफी सारी धाराएं तय की गई हैं।