विश्व एड्स दिवस – एचआईवी और एड्स क्या है?

एचआईवी और एड्स क्या है? एचआईवी और एड्स उन्मूलन की दिशा में भारत की पहल क्या है ? What is HIV and AIDS? What are India's initiatives towards eradicating HIV and AIDS?

एचआईवी और एड्स उन्मूलन की दिशा में भारत की पहल क्या है ?

भारत एचआईवी/एड्स उन्मूलन की दिशा में लगातार कठिन प्रयास कर रहा है। एड्स नामक इस भयानक बीमारी ने देश की एक बड़ी आबादी को अपने प्रभाव में जकड़ रखा है। एचआईवी से संबंधित मामलों को पूर्ण रूप से ख़त्म किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं एवं पिछले कुछ वर्षों में भारत ने इस प्रयास में अंशतः सफलता भी पाई है। भारत को “पूर्णतः एड्स मुक्त” होने में अभी काफी समय लगेगा क्योंकि अभी भी देश में 15 से 49 वर्ष की उम्र के बीच के लगभग 25 लाख लोग एड्स से प्रभावित हैं। यह आँकड़ा विश्व में एड्स प्रभावित लोगों की सूची में तीसरे स्थान पर आता है।

एचआईवी आकलन 2012 के अनुसार भारतीय युवाओं में वार्षिक आधार पर एड्स के नए मामलों में 57% की कमी आई है। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के तहत किये गए एड्स के रोकथाम संबंधी विभिन्न उपायों एवं नीतियों का ही यह प्रभाव था कि 2000 में एड्स प्रभावित लोगों की जो संख्या 2.74 लाख थी, वह 2011 में घटकर 1.16 लाख हो गई। 2001 में एड्स प्रभावित लोगों में 0.41% युवा थे जो प्रतिशत 2011 में घटकर 0.27 का हो गया। 2000 में एड्स प्रभावित लोगों की संख्या लगभग 24.1 लाख थी जो 2011 में घटकर 20.9 लाख रह गई। एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) के प्रयोग में आने के बाद एड्स से मरने वालों की संख्या में कमी आई। 2007 से 2011 के बीच एड्स से मरने वाले लोगों की संख्या में वार्षिक आधार पर 29% की कमी आई। ऐसा अनुमान है कि 2011 तक लगभग 1.5 लाख लोगों को एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) की मदद से बचाया जा चुका है।

भारत ने एचआईवी संबंधी आँकड़े देने वाले इन व्यापक स्रोतों का इस्तेमाल एड्स संबंधी कार्यक्रमों के निर्धारण में किया है ताकि एचआईवी की रोकथाम एवं इसके उपचार के उपायों से होने वाले प्रभावों की जानकारी प्राप्त की जा सके।

एचआईवी/एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम (यूएनएड्स) के अनुमान यह दिखाते हैं कि पूरा विश्व एचआईवी संक्रमण को फैलने से रोकने का प्रयास कर रहा है ताकि इस महामारी को जड़ से मिटाया जा सके। विगत दस वर्षों में इस दिशा में सराहनीय प्रयास किये गए हैं, फिर भी आज हमारे सामने यह एक विकट समस्या है।

एचआईवी क्या है?

एचआईवी का मतलब है ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (Human Immunodeficiency Virus) I यह वायरस एड्स (AIDS) का कारण बनता हैI

मानव शरीर कि रक्षा प्रणाली को प्रतिरक्षा प्रणाली या इम्यून सिस्टम कहा जाता हैI यह प्रतिरक्षा प्रणाली कई वायरस और बैक्टीरिया से मानव शरीर को लड़ने कि क्षमता प्रदान करती है I HIV इसी प्रतिरक्षा प्रणाली कि कोशिकाओं पर हामला कर इसे कमजोर करता है I यह कोशिकाएं एक प्रकार कि श्वेत रक्त कोशिकाएं होती है जिन्हे सी डी 4 (CD4) सेल्स भी कहा जाता है

अगर वायरस को नियंत्रित करने के लिए दवा का उपयोग न किया गया तो , HIV के जीवाणु CD4 कोशिकाओं पर कब्ज़ा कर उन्हें लाखो वायरस कि प्रतियां बनाने वाली फैक्ट्री में रूपांतरित कर देते है I इस प्रक्रिया में CD4 कोशिकाएं नष्ट हो जाती है जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती जाती है I अंततः यह एड्स का रूप ले लेती है.

एचआईवी के कई अलग अलग प्रकार है I इन्हे दो मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:

एचआईवी-1: यह प्रकार दुनिया भर में पाया जाता है और सबसे आम है
एचआईवी-2: ज्यादातर पश्चिम अफ्रीका, एशिया और यूरोप में पाया जाता है

एच आय वी से प्रभावित किसी भी व्यक्ति के शरीर में एक समय पर एच आय वी के कई अलग प्रकार मौजूद हो सकते हैं I
एड्स क्या क्या है?

एड्स (AIDS) का मतलब अक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम (Acquired Immunodeficiency Syndrome) है I यह एचआईवी संक्रमण कि सबसे अंत में होनी वाली अवस्था है I

एचआईवी , प्रतिरक्षा प्रणाली में काम आने वाली CD4 कोशिकाओं पर हामला कर , शरीर को एड्स कि स्थिति तक पहुंचा देता है I जब शरीर बहुत सी CD4 कोशिकाएं खो देता है तब कई गंभीर एवं घातक संक्रमणों का शिकार हो जाता है I इनको अवसरवादी संक्रमण ( opportunistic infections ) कहते हैं I जब किसी कि मृत्यु एड्स से होती है तब अक्सर मृत्यु का कारन अवसरवादी संक्रमण और HIV के दीर्घकालिक प्रभाव ही होते है I एड्स शरीर कि कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली को दर्शाता है जो अब अवसरवादी संक्रमण को रोक नहीं सकती I
एचआईवी और एड्स के बीच क्या अंतर है?

एचआईवी के केवल शरीर में प्रवेश से आपको एड्स नहीं हो जाता I आप एचआईवी के साथ (HIV+ होना ) बिना किसी लक्षण के , या केवल थोड़े बहुत लक्षणों के साथ कई सालों तक जीवन यापन कर सकते है I एचआईवी के साथ जीने वाले लोग अगर परामर्श के अनुरूप दवाएं ले तो उन्हें एड्स होने कि सम्भावना बहुत कम होती है I किन्तु बिना इलाज के एचआईवी अंततः CD4 कोशिकाओं कि संख्या इतनी कम कर देता है कि प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत कमज़ोर हो जाती है I इन लोगो को अवसरवादी संक्रमण होने की गहरी संभावना होती है

एचआईवी के लिए प्रभावी उपचार उपलब्ध होने से पहले ही एड्स की परिभाषा स्थापित की गई थी। उस समय यह परिभाषा यह संकेत देती थी की वह एड्स ग्रसित व्यक्ति बीमारी या मृत्यु की उच्च जोखिम श्रेणी में शामिल है I उन देशों में जहा एचआईवी उपचार आसानी से उपलब्ध है, एड्स अब इतना प्रासंगिक नहीं रहा I एचआईवी के प्रभावी उपचार के उपलब्ध होने पर , लोग कम CD4 संख्या होते हुए भी स्वस्थ रह सकते हैं I वर्षों पूर्व अगर किसी व्यक्ति को एड्स होने की पुष्टि हुई थी, तब से उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली सामान्य स्तर तक वापस आ सकती है I ऐसा होने पर वे एड्स ग्रसित कहे जा सकते है किन्तु उनकी CD4 संख्या सामान्य हो सकती है I

यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ऐसे लोगों की पहचान करता है जो एड्स या एचआईवी के साथ जी रहें हैं या निम्न में से एक या दोनों स्थितियां में हो:

कम से कम एड्स में आवश्यक (एड्स की स्थिति को परिभाषित करने वाले) एक लक्षण हो (एड्स में आवश्यक स्थितियों की हमारी सूची देखें)
सीडी 4 की संख्या 200 कोशिकाएं या उससे कम हो (सामान्य सीडी 4 की संख्या लगभग 500 से 1,500 होती है)

एड्स पीड़ित लोग एचआईवी दवाओं की मदद से अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली का पुनर्निर्माण कर सकते हैं, और एक लंबा, स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। अगर एड्स होने के बाद भी आपकी सीडी 4 की संख्या 200 से ऊपर हो जाती है या अवसरवादी संक्रमण (OI) का सफलता पूर्वक इलाज हो जाता है, तो भी आप एड्स के मरीज कहलाएंगे । यहाँ यह जरूरी नहीं है कि आप बीमार ही हों, या भविष्य में बीमार हो सकते हैं । यह बस एक तरीका है जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली एचआईवी से प्रभावित लोगों की संख्या की गिनती करती है।

मुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे एचआईवी है

अधिकांश लोग यह नहीं बता सकते हैं कि वे एचआईवी के संपर्क में आ चुके हैं या उससे प्रभावित हो चुके हैं। एचआईवी के प्रारंभिक सूक्ष्म लक्षण , एचआईवी संपर्क में आने के दो से चार सप्ताह के भीतर दिखाई दे सकते हैं I यह लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:

  • बुखार
  • ग्रंथियों में सूजन
  • गले में खराश
  • रात में अधिक पसीना आना
  • मांसपेशी में दर्द
  • सर दर्द
  • अत्यधिक थकान
  • चकत्ते

कुछ लोग इन लक्षणों पर ध्यान नहीं देते क्योंकि ये दिखने में साधारण लगते हैं, या उन्हें लगता है कि उन्हें सर्दी या फ्लू है। इन “फ़्लू-जैसे” लक्षणों के गायब होने के बाद भी, एचआईवी से प्रभावित व्यक्ति किसी भी लक्षण के बिना वर्षों तक जी सकता हैं। यदि आप एचआईवी से प्रभावित हैं तो इसे जानने का एक मात्र तरीका एचआईवी जाँच करवाना ही है ।

यदि आपको एचआईवी के कुछ शुरुआती या थोड़े लक्षण दिखाई पड़ते हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप एचआईवी एंटीजन (न केवल एचआईवी एंटीबॉडी) की जाँच कराएं। एचआईवी एंटीजन यह एचआईवी वायरस, या संक्रमित कणों के अंश होते हैं। यदि एचआईवी एंटीजन आपके रक्त में है, तो ऐसी जाँचें उपलब्ध हैं जो आपके वायरस के संपर्क में आने से दो सप्ताह बाद ही एचआईवी संक्रमण की पहचान कर सकते हैं।

शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली, एचआईवी को चिह्नित कर उनका विनाश करने के लिए एंटीबॉडीज नमक प्रोटीन बनाता है । यह एंटीबॉडीज बनाने में शरीर को एक से तीन महीने या कभी-कभी छह महीने तक का समय लगता है। एचआईवी से प्रभावित होने और एंटीबॉडी के उत्पादन के बीच के तीन से छह महीने की अवधि को “विंडो अवधि” कहा जाता है। इसलिए, एंटीबॉडी का पता लगाने वाली जाँच, एचआईवी के संपर्क में आने के एक से तीन महीने बाद ही विश्वसनीय होती हैं।
क्या मुझे एचआईवी का जाँच कराना जरूरी है?

सीडीसी का अनुमान है कि लगभग 15 प्रतिशत अमेरिकी लोग जो एचआईवी से संक्रमित है, नहीं जानते कि वे एचआईवी से प्रभावित हैं। इनमें से बहुत से लोग स्वस्थ दिखते है, अच्छा महसूस करते हैं और यह नहीं सोचते कि उन्हें इस प्रकार की कोई जोखिम है। लेकिन सच्चाई यह है कि किसी भी उम्र, लिंग, नस्ल, जातीयता, सामाजिक समूह या आर्थिक वर्ग का व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित हो सकता है । मनुष्य इन कारकों के आधार पर भेदभाव कर सकता है, लेकिन वायरस नहीं करता है। एचआईवी कैसे फैलता है, इस बारे में अधिक जानकारी के लिए, एचआईवी संचरण के हमारे फैक्टशीट को देखें।

यह देखने के लिए कि क्या आपको एचआईवी कि जाँच करवाना चाहिए, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें:

  • क्या आपने कभी लिंग को योनि में (वजाइनल इंटरकोर्स ) या लिंग को गुदा में (ऐनल इंटरकोर्स ) सम्भोग, या बिना कंडोम या अन्य बेरियर(जैसे, डेंटल डैम) के बिना मौखिक सम्भोग (ओरल सेक्स ) किया है? नोट: मुख सम्भोग (ओरल सेक्स) एक कम जोखिम वाली गतिविधि है। योनि और गुदा सेक्स (वजाइनल और ऐनल सेक्स )- में बहुत अधिक खतरा होता है।
  • क्या आप अपने साथी के एचआईवी स्थिति को जानते हैं या आपका साथी एचआईवी संक्रमित है?
  • क्या आप गर्भवती हैं या गर्भवती बनने का विचार कर रही हैं?
  • क्या आपको कभी यौन संक्रमण या यौन रोग (एसटीआई या एसटीडी) हुई है?
  • क्या आपको हेपेटाइटिस सी (एचसीवी) है?
  • क्या आपने कभी दवाओं को इंजेक्ट करने के लिए सुई, सीरिंज या अन्य उपकरण साझा किए हैं (स्टेरॉयड या हार्मोन के लिए भी )?

यदि आपका इनमें से किसी भी प्रश्न का उत्तर हाँ है, तो आपको निश्चित रूप से एचआईवी जाँच कराना चाहिए। अमेरिका में, 13-64 वर्ष के बीच के सभी लोगों का एचआईवी जाँच कम से कम एक बार होती है।

मुझे जाँच क्यों कराना चाहिए?

यदि आप चिंतित हैं कि आप एचआईवी के संपर्क में आ गए हैं, तो जांच करवाएं। यदि जांच के बाद आप जान जाते है की आपको हिव संक्रमण नहीं है यानि आप एचआईवी नेगेटिव (एचआईवी – Ve ) तो आप चिंता न करे । आप प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीआरईपी/ PrEP) या पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीईपी/ PEP) कराने पर भी विचार कर सकते हैं। PrEP का मतलब है, एचआईवी के संपर्क में आने से पहले एचआईवी की दवा लेना, ताकि खुद को बचाया जा सके। पीईपी का मतलब है एचआईवी के संभावित जोखिम के तुरंत बाद लगभग एक महीने के लिए एचआईवी दवाओं को लेना, ताकि एचआईवी

संक्रमण को रोका जा सके।

यदि आप एचआईवी + / एचआईवी पॉजिटिव पाए जाते है , तो आपको स्वस्थ रहने में मदद करने के लिए प्रभावी दवाएं हैं। ये दवाएं एचआईवी के संक्रमण को रोकने का भी काम करती हैं। जब एचआईवी से प्रभावित व्यक्ति एचआईवी दवा लेता रहता है और उसका संक्रमण लोड (उसके रक्त में एचआईवी की मात्रा) बहुत कम स्तर तक पहुंच जाता है (जाँच में मापने के लिए उसके रक्त प्रवाह में पर्याप्त एचआईवी नहीं होते है). ऐसी स्थिति में वह अपने साथी को एचआईवी संक्रमण से बचा सकता है I

लेकिन यदि आप अपनी एचआईवी स्थिति (चाहे आप एचआईवी से प्रभावित हो या एचआईवी नेगेटिव हो) नहीं जानते हैं , तो आपको सही उपचार नहीं मिल पाएगा। यदि आपको अपनी स्थिति का पता नहीं है, तो आप जाने बिना दूसरों को भी एचआईवी संक्रमित कर सकते हैं।

गर्भवती होने जा रही महिलाओं के लिए, जाँच विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यदि महिला एचआईवी से संक्रमित है, तो गर्भावस्था के दौरान ली गई कुछ एचआईवी दवाएं और देखभाल उसके बच्चे को एचआईवी पॉजिटिव होने की संभावना को कम कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए, गर्भावस्था और एचआईवी की हमारी फैक्टशीट को देखें।

अमेरिका में, आप नज़दीक के जाँच सेंटर को खोजने के लिए नेशनल एचआईवी, एसटीडी और हेपेटाइटिस जाँच वेबसाइट या HIV.gov वेबसाइट पर जा सकते हैं। आप सीडीसी के इन्फॉर्मेशन नंबर 800-232-4636 पर भी कॉल कर सकते हैं या अपने राज्य के एचआईवी / एड्स हॉट लाइन (नंबर यहाँ सूचीबद्ध है) पर कॉल कर सकते हैं। दुनिया भर की सेवाओं को खोजने के लिए एड्स मैप ई-एटलस पर जाएँ। एचआईवी के जाँच के बारे में अधिक जानकारी के लिए – जाँच के प्रकार, वे कैसे काम करते हैं, और कहाँ की जाती हैं – हमारी फैक्टशीट एचआईवी जाँच को देखें।एचआईवी कैसे फैलता है?

एचआईवी मुख्य रूप से निम्नलिखित शरीर के तरल पदार्थों (बॉडी फ्लुइड्स ) के संपर्क से फैलता है:

  • रक्त (मासिक धर्म/ पीरियड ब्लड सहित)
  • वीर्य (सीमेन ) और अन्य पुरुष यौन पदार्थ ( सेक्सुअल सिक्रेशन )
  • योनि तरल पदार्थ (वजाइनल सिक्रेशन )
  • माँ के दूध से

जब एचआईवी से प्रभावित लोग परामर्श अनुसार एचआईवी दवा लेते हैं और उनके संक्रमण लोड को कम करते हैं , इन तरल पदार्थों द्वारा दूसरों तक एचआईवी प्रसारित करने की संभावना कम हो जाती है। इसे एचआईवी उपचार के तहत एचआईवी रोकथाम कहते हैं। यदि एचआईवी से प्रभावित व्यक्ति एचआईवी दवा लेता है और एक बहुत ही कम संक्रमण लोड (मानक जाँचों द्वारा मापने के लिए बहुत कम) को बनाए रखता है, तो उनके वीर्य या योनि तरल पदार्थ अपने यौन साथी को HIV संक्रमण नहीं देंगे । एचआईवी फैलने का सबसे आम तरीके असुरक्षित यौन संबंध (बिना कंडोम, अन्य अवरोधक, या ट्रीटमेंट ऐस प्रिवेंशन के इस्तेमाल न करने से) , दवाओं को इंजेक्ट करने के लिए उपयोग की जाने वाली सुइयों को साझा करने से, या गर्भवती माँ-से-बच्चे को (गर्भावस्था के दौरान या स्तनपान से )।

शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में आने से एचआईवी नहीं फैलता :

  • पसीना
  • आँसू
  • लार (थूक)
  • मल (मलमूत्र)
  • मूत्र (पेशाब)

दूसरे शब्दों में, आपके द्वारा एचआईवी के व्यक्ति को छूने या गले लगाने से, चूमने से, या एचआईवी के व्यक्ति द्वारा उपयोग किए गए शौचालय का उपयोग करने से, एचआईवी नहीं होता है |
क्या एचआईवी के लिए कोई टीका या इलाज है?

एचआईवी के लिए न तो कोई टीका है और नही कोई इलाज है। एचआईवी को रोकने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि आप हर बार रोकथाम के तरीकों को अपनाएँ, जिसमें सुरक्षित यौन सम्बन्ध शामिल है (कम या बिना जोखिम वाली गतिविधियों को चुनना, कंडोम का उपयोग करना, यदि आप एचआईवी से प्रभावित हैं तो एचआईवी दवाओं को लें या यदि आप एचआईवी नेगेटिव हैं तो PrEP ले ) जीवाणुरहित (स्टरलाइज़्ड ) सुई का उपयोग करें (दवाओं, हार्मोन या टैटू के लिए)। अधिक जानकारी के लिए, एचआईवी टीके की हमारी फैक्टशीट को देखें।

एचआईवी/एड्स से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य

एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी वायरस) शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाओं को संक्रमित कर देता है।

एचआईवी कई तरीकों से फैल सकता है।

पूरे विश्व में लगभग 3.53 करोड़ लोग एचआईवी से प्रभावित हैं।

एचआईवी दुनिया की प्रमुख संक्रामक एवं जानलेवा बीमारी है।

एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) शरीर में एचआईवी वायरस को फैलने से रोकता है।

वर्ष 2012 के अंत तक निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों के लगभग 1 करोड़ एचआईवी पॉजिटिव लोगों को एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) उपलब्ध करवाई जा चुकी है।

विश्व के लगभग 33.4 लाख बच्चे एचआईवी से प्रभावित हैं।

मां से बच्चे में एचआईवी के संक्रमण को रोका जा सकता है।

एचआईवी प्रभावित लोगों में सामान्य लोगों की अपेक्षा क्षय रोग (टी.बी) होने का खतरा अधिक होता है।

एचआईवी के फैलने की प्रवृति

एचआईवी/एड्स से निपटने का एकमात्र उपाय है – इसकी रोकथाम। भारत की 99 प्रतिशत जनसंख्या अभी एड्स से मुक्त है, बाकि एक प्रतिशत जनसंख्या में इसके फैलने की प्रवृति के आधार पर इस महामारी की रोकथाम एवं इस पर नियंत्रण करने संबंधी नीतियाँ बनाईं जा रही हैं।

एचआईवी/एड्स संबंधी मामलों में जागरूक बनें

एचआईवी संक्रमण को रोकने का एकमात्र तरीका है – लोगों को इस बारे में जागरूक किया जाए। लोगों को इसकी उत्पत्ति एवं प्रसार के बारे में बताया जाए ताकि लोग इस महामारी के दुष्प्रभाव से बच सकें। इसी बात को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत की गई जिसका उद्देश्य जन-जन तक एचआईवी/एड्स एवं इसके रोकथाम से संबंधित सभी सूचनाएँ एवं जानकारियाँ पहुँचाना है।

भारत में एड्स के मामले

भारत में एचआईवी का पहला मामला 1986 में सामने आया। इसके पश्चात यह पूरे देश भर में तेजी से फैल गया एवं जल्द-ही इसके 135 और मामले सामने आये जिसमें 14 एड्स2 के मामले थे। यहाँ एचआईवी/एड्स के ज्यादातर मामले यौनकर्मियों में पाए गए हैं। इस दिशा में सरकार ने पहला कदम यह उठाया कि अलग-अलह जगहों पर जाँच केन्द्रों की स्थापना की गई। इन केन्द्रों का कार्य जाँच करने के साथ-साथ ब्लड बैंकों की क्रियाविधियों का संचालन करना था। बाद में उसी वर्ष देश में एड्स संबंधी आँकड़ों के विश्लेषण, रक्त जाँच संबंधी विवरणों एवं स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रमों में समन्वय के उद्देश्य से राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत की गई।

हालांकि 1990 की शुरुआत में एचआईवी के मामलों में अचानक वृद्धि दर्ज की गई, जिसके बाद भारत सरकार ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन की स्थापना की। इस संगठन का उद्देश्य देश में एचआईवी एवं एड्स के रोकथाम एवं नियंत्रण संबंधी नीतियाँ तैयार करना, उसका कार्यान्वयन एवं परिवीक्षण करना है। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के क्रियान्वयन संबंधी अधिकार भी इसी संगठन को प्राप्त हैं। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यक्रम प्रबंधन हेतु प्रशासनिक एवं तकनीकी आधार तैयार किये गए एवं राज्यों व सात केंद्र-शासित प्रदेशों में एड्स नियंत्रण संगठन की स्थापना की गई।

जन-संपर्क अभियान

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन द्वारा टेलीविज़न एवं रेडियो पर नियमित रूप से इस विषय से संबंधित प्रसारण आयोजित किये जाते हैं जिसमें कंडोम के उपयोग, एड्स प्रभावित लोगों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार, समेकित परामर्श एवं परीक्षण केंद्र, एचआईवी/एड्स के प्रति भ्रांतियां, यौन संक्रमित रोगों के उपचार, युवाओं के एचआईवी संक्रमित होने की ज्यादा आशंका, एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी एवं रक्त आदान-प्रदान संबंधी सुरक्षा इत्यादि पर विस्तार से चर्चा की जाती है।

विश्व एड्स दिवस

प्रत्येक वर्ष 1 दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस दिन को विश्वभर के लोग एड्स विरोधी अभियान में अपनी एकजुटता दिखाते हैं एवं एड्स प्रभावित लोगों को हरसंभव सहयोग देने का आश्वासन देते हैं। इस दिन को एड्स से मरने वाले लोगों के स्मरणोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम – चौथा चरण एवं “एड्स मुक्त भारत” अभियान

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के चौथे चरण (2012-2017) से संबंधित योजना एवं नीतियों का निर्धारण कई हितधारकों से परामर्श लेने के बाद विस्तृत नियोजन प्रक्रिया के पश्चात किया गया।

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम – IV का उद्देश्य सतर्क एवं निर्धारित समेकित प्रक्रिया के द्वारा इन पांच वर्षों में एचआईवी संक्रमण के मामलों को तेजी से घटाना एवं देश में इस महामारी से निपटने संबंधी प्रक्रिया को और बल प्रदान करना है। इसका मुख्य उद्देश्य एचआईवी के नए मामलों में कमी लाना एवं एचआईवी/एड्स प्रभावित लोगों को आवश्यक उपचार एवं सुविधाएँ उपलब्ध करवाना है।

इस कार्यक्रम की मुख्य नीतियाँ हैं – एचआईवी/एड्स के रोकथाम संबंधी, प्रक्रिया में तेजी लाना एवं उसे बल प्रदान करना एचआईवी/एड्स संबंधी विषयों पर शिक्षा एवं परामर्श सुविधाएँ उपलब्ध करवाना, सामरिक सूचना प्रबंधन प्रणाली को मजबूत करना एवं राष्ट्रीय, राज्य, जिले एवं निचले स्तर पर इसका क्रियान्वयन करना।

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम नीति निर्धारण में विभिन्न समुदायों की भागीदारी एवं स्वामित्व निर्धारित करने का एक उत्कृष्ठ उदहारण है। यही वजह रही कि यह कार्यक्रम देश के प्रत्येक क्षेत्र में क्रियान्वित हो सका एवं जरूरतमंद लोगों को इसका लाभ मिल सका। सिविल सोसाइटी एवं सामुदायिक संचालन, सेवाओं को सभी तक पहुँचाने, कलंक एवं भेदभाव संबंधी मुद्दों को पहचानने में एचआईवी/एड्स प्रभावित लोगों के समाज ने इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन में भरपूर सहयोग प्रदान किया।

महामारी से निपटने की यह नीति एवं कार्यक्रम से संबंधित आँकड़ों का विश्लेषण यह दिखाता है कि इस महामारी को रोकने का लक्ष्य हासिल किया जा रहा है एवं राष्ट्रीय स्तर पर निश्चित समय सीमा के अन्दर ही इस महामारी को जड़ से मिटाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

भारत के एड्स विरोधी अभियान में द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय भागीदारों का सहयोग

एचआईवी/एड्स के रोकथाम एवं इसपर नियंत्रण हेतु वैश्विक एवं स्थानीय दोनों ही स्तरों पर संसाधनों, तकनीकों के प्रबंधन एवं सम्मिलित प्रयास करने की आवश्यकता है। इसके रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु अत्यधिक राशि की आवश्यकता होती है। भारत में कई अंतर्राष्ट्रीय संस्था एचआईवी/एड्स उन्मूलन हेतु राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के साथ मिलकर काम कर रही है जहाँ वे अपने तकनीकी विशेषज्ञ एवं वित्तीय सुविधाएँ संगठन को उपलब्ध करवाते हैं। संस्थानों की यह सहभागिता एचआईवी/एड्स पर भारत सरकार के कार्यक्रमों की तरह ही अत्यंत पुरानी है।

  • एड्स/एचआईवी पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम
  • अंतरराष्ट्रीय एड्स सेवा संगठन परिषद
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन
  • बिल एवं मेलिंडा गेट्स संस्थान – एड्स पहल के लिए आह्वान
  • संयुक्त राष्ट्र बाल कोष
  • अंतर्राष्ट्रीय एड्स संगठन
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन
  • संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को)
  • अंतर्राष्ट्रीय एड्स अर्थशास्त्रीय नेटवर्क
  • विश्व बैंक
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