pH – Potential of Hydrogen
अगर आपने नोटिस किया हो तो पर्सनल हाइजीन से जुड़े हर एक प्रोडक्ट्स में पीएच की जानकारी होती है। लेकिन बहुत ही कम लोग पीएच के मतलब से वाकिफ होंगे तो क्यों जरूरी है यह हमारी बॉडी के लिए और कैसे करता है यह काम जानेंगे इसके बारे में..
पीएच का पूरा मतलब होता है-पावर ऑफ हाइड्रोजन यानी हाइड्रोजन की शक्ति। हाइड्रोजन के अणु किसी चीज़ में उसकी अम्लीय या क्षारीय प्रवृत्ति को तय करते हैं। मतलब अगर किसी लिक्विड या प्रोडक्ट का पीएच 1 या 2 है तो वो अम्लीय है और अगर पीएच 13 या 14 है तो वो क्षारीय है। अगर पीएच 7 है तो वह न्यूट्रल है। और न्यूट्रल भी सबसे बेस्ट होता है।
पीएच का कमाल (Importance of ph)
नहीं पता तो जान लें, पानी का पीएच लेवल 7 होता है इसका मतलब है कि पीने के पानी में अम्ल और क्षार दोनों ही नष्ट हो चुके हैं। तो अब बार करेंगे त्वचा की, अगर पीएच 5 से कम हो तो त्वचा की प्रकृति थोड़ी अम्लीय है। पीएच 5 से कम होने पर त्वचा की नमी बरकरार रहती है। इसीलिए स्किन केयर से जुड़े प्रोडक्ट्स पीएच बैलेंस का फॉर्मूला फॉलो करते हैं, जिससे वो हेल्दी बनी रहे।
आंतरिक स्वच्छता में पीएच का महत्व (Importance of pH in internal hygiene)
पीएच गड़बड़ होने पर साबुन ही नहीं पानी के इस्तेमाल से भी त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है। चेहरे और आंतरिक अंगों की साफ-सफाई में इसका बहुत ही खास रोल होता है। जरा सोचिए वजाइना की स्किन कितनी सॉफ्ट होती है ऐसे में साबुन या पानी इसके एसिड लेवल को खराब कर सकते हैं। वजाइना का पीएच 3.5 से 4.5 होता है और इस अनुकूलित संतुलन में लेक्टोबैक्ली और दूसरी फायदेमंद कोशिकाएं बनती है। ऐसे में अगर पानी (जिसका पीएच 7 होता है) या साबुन (जिसका पीएच 8 से 11 के बीच होता है।) से साफ करेंगे तो संतुलन बिगड़ जाएगा और इससे सूखापन, बदबू, खुजली, असहजता व दूसरे गंभीर संक्रमण होने का खतरा हो सकता है।
जरूरी बातें (Important Notes)
पीएच को बैलेंस करना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि ये हानिकारक सूक्ष्म बैक्टीरिया को पनपने नहीं देते हैं। इसलिए आचार, सॉस जैसी चीज़ों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए इसमें एसिटिक एसिड या सिरका डाला जाता है, जिससे इसका पीएच कम किया जा सके।